भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ सकती है. लेकिन भारत को अपने कट्टर प्रतिद्वंदी चीन से आगे निकलने में अभी समय लगेगा. भारत की अर्थव्यवस्था अगले कुछ साल तक लगातार 6.5% से 7% की दर से बढ़ेगी. इसके चलते भारत को मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में चीन से आगे निकलने में अभी बहुत समय लगेगा.
मॉर्गन स्टेनली के चीफ एशिया इकोनॉमिस्ट चेतन आह्या ने ये बात कही. चेतन आह्या ने कहा कि चीन ने लॉन्ग टर्म में अपने इकोनॉमिक ग्रोथ को 8% से 10% बनाए रखा था, लेकिन भारत इस ग्रोथ रेट को बनाए रखे, यह मुश्किल है. दरअसल, चीन ने 1978 में आर्थिक सुधारों के बाद तीन दशकों तक अपना एवरेज एनुअल ग्रोथ रेट 10% बनाए रखा था.
चीन को पछाड़ने में लगेगा वक़्त
आह्या ने कहा कि भारत की अर्व्यव्स्था यहां की इन्फ्रास्ट्रक्चर और स्किल्ड वर्कफोर्स की कमी के चलते प्रभावित हो रही है.ऐसे में, इसकी ग्रोथ रेट 6.5% से 7% रह सकती है. मॉर्गन स्टेनली ने इससे पहले बताया था कि इन्वेस्टमेंट में उछाल के चलते भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ 2003-2007 जैसे तेज हो गई है. इस दौरान भारत की एवरेज एनुअल ग्रोथ 8% से ज्यादा थी. ऐसे ही, साल 2003-2007 के दौरान इन्वेस्टमेंट टू GDP रेश्यो 2003 के 27% से बढ़कर 2008 में 39% हो गया था. इसके बाद 2011-12 में यह ग्रोथ दर गिर गया था. दरअसल, भारत में कभी भी ग्रोथ रेट कई सालों तक मेंटेन नहीं रह पाई है, जिसके चलते यह चीन से पीछे ही रहा है. और अब भी इसे चीन को पछाड़ने में वक़्त लगेगा.
फिच के अनुमान भी लगभग इतने
गौरतलब है कि ग्लोबल रेटिंग एजेंसी फिच (Fitch) ने वित्त वर्ष 2025 के लिए भारत का इकोनॉमिक ग्रोथ अनुमान 6.5% से बढ़ाकर 7% किया है. यानी दोनों का अनुमान लगभग मिलता-जुलता है. फिच ने कहा कि भारत की आर्थिक ग्रोथ को मजबूत घरेलू मांग और निवेश में वृद्धि होने से रफ्तार मिलेगी. यानी आने वाले सालों में भारत की अर्थव्यवस्था रफ्तार पकड़ सकती है. लेकिन चीन के मुकाबले अब भी इसका ग्रोथ रेट बहुत पीछे है.