अंतरराष्ट्रीय कारोबार (Global Market) में भारत की पूंजी हिस्सेदारी इस साल जून में बढ़कर 2.60% के स्तर पर पहुंच गई है. यह घरेलू बाजार में बेहतर कारोबारी प्रदर्शन के चलते संभव हुआ है. कोविड प्रतिबंधों में ढील के बीच भारतीय कंपनियों की आमदनी में हुए सुधार को इसकी वजह माना जा रहा है.
भारत का बाजार पूंजीकरण 66% बढ़ोतरी के साथ जून 2021 में दो खबर डॉलर हो गया, जबकि इस अवधि में वैश्विक बाजार (Global Market) पूंजीकरण में सालाना आधार पर 44% की ही बढ़ोतरी दर्ज की गई. भारत का बाजार पूंजीकरण (एमकैप) ऐसे समय में बढ़ा है, जब दुनिया भर में उभरते हुए बाजारों वाले देशों की हिस्सेदारी पिछले एक साल में 23-24% के दायरे में सिमटी रही.महत्वपूर्ण बात यह भी है कि भारत की मार्केट कैप वृद्धि पिछले पांच वर्षों में औसतन 14.7% रही है, जबकि वैश्विक बाजार के मार्केट कैप में 13.25% की ही बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
पिछले एक साल में भारतीय कंपनियों के शेयरों ने 49% रिटर्न दिया है, जो दुनिया के प्रमुख बाजारों में सबसे ज्यादा है. पिछले तीन महीनों में भारत 7.14% के रिटर्न के साथ इस मामले में केवल ब्राजील (8.60%) से पीछे रहा.
भारतीय इक्विटी के प्रदर्शन को मापने के लिए प्रचलित पैमाने एमएससीआई सूचकांक में भारत का स्कोर 7.7% रहा, जबकि ग्लोबल स्कोर 1.1% पर रहा. अपने जैसे उभरते बाजारों की तुलना में भारतीय शेयर अभी 55% की बढ़ोतरी (प्रीमियम) पर कारोबार कर रहे हैं. मोतीलाल ओसवाल के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष में एनएसई के निफ्टी 50 सूचकांक में शामिल कंपनियों की कमाई 23 फीसदी बढ़ी।
एमकैप क्या है?
बाजार पूंजीकरण को संक्षेप में ‘मार्केट कैप’ कहा जाता है. यह सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाली कंपनी के शेयरों का बाजार मूल्य होता है. यह शेयर की कीमत को बकाया शेयरों की संख्या से गुणा करके तय किया जाता है. मार्केट कैप को कंपनी के निवल मूल्य यानी नेटवर्थ के बारे में जनता की राय के संकेत के रूप में समझा जा सकता है, क्योंकि यह बाजार में बेचे जाने वाले कंपनी के शेयरों के कुल मूल्य पर निर्भर करता है.