ग्रीनबैक में व्यापक रैली और अमेरिकी ट्रेजरी में बढ़ोतरी के चलते मंगलवार को भारतीय रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया. अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 83.51 पर खुला, जो पिछले सत्रों में 83.45 पर था. इजरायल-ईरान के बीच के टेंशन और फेड के आउटलुक के चलते रुपया गिरकर रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया है. मिडिल ईस्ट में मौजूद संघर्ष की चिंताओं के कारण एशियाई देशों की करेंसी दबाव में हैं.
अमेरिकी खुदरा बिक्री में अपेक्षा से ज्यादा वृद्धि के चलते मजबूत स्थिति में है, जिसकी वजह से अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में कटौती बाद में करेगा. रुपया 16 अप्रैल को अपने ऑल टाइम लो पर पहुंचा, इसमें अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 6 पैसे की गिरावट देखने को मिली और यह 83.51 रुपए प्रति डॉलर के अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया. इससे पहले 22 मार्च 2024 को डॉलर के मुकाबले रुपया 83.45 के अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंचा था.
रुपए में गिरावट से ये चीजें होंगी प्रभावित
रुपए में गिरावट से भारत की इंपोर्ट व्यवस्था प्रभावित होंगी. इससे विदेश में घूमना और पढ़ना भी महंगा हो जाएगा. उदाहरण के तौर पर जिस समय डॉलर के मुकाबले रुपए की वैल्यू 50 थी तब अमेरिका में भारतीय छात्रों को 50 रुपए में 1 डॉलर मिल जाते थे। अब 1 डॉलर के लिए छात्रों को 83.51 रुपए खर्च करने पड़ेंगे.
कच्चे तेल की कीमतों का भी पड़ा असर
कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी से भी रुपया पर दबाव पड़ा है. ब्रेंट क्रूड ऑयल 0.59% बढ़कर 90.63 डॉलर प्रति बैरल हो गया, जबकि यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड वायदा 0.62% बढ़कर 85.94 डॉलर हो गया है.