फेस्टिव सीजन में सकारात्मक माहौल अपने आप बन ही जाता है. यह माना जा सकता है कि अर्थव्यवस्था में अभी हो रहे सुधार में कहीं न कहीं यह सकारात्मकता अहम भूमिका निभा रही है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में कहा गया है कि कई सेगमेंट में सुधार हो रहा है. देश में तेज गति से विकास लाने के लिए ‘एनिमल स्पिरिट’ धीरे-धीरे तैयार हो रही है.
वहीं, नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लाइड इकनॉमिक रिसर्च के सर्वे के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष की सितंबर तिमाही में बिजनेस सेंटिमेंट दो साल के उच्चतम स्तर पर था. इसी तरह नाइट फ्रैंक, फिक्की और नरेडको की जॉइंट रिपोर्ट के अनुसार, रिटल एस्टेट का सेंटिमेंट इंडेक्स दूसरी तिमाही में ऑल टाइम हाई पर था. अगले छह महीनों का आउटलुक भी पॉजिटिव बना हुआ है.
सभी रिपोर्ट्स से पता चलता है कि कई सेगमेंट्स रफ्तार पकड़ रहे हैं. रिकवरी के इस चरण में एक अच्छी बात यह है कि यह फर्म, ओनरशिप और इंडस्ट्रियल सेक्टरों में एक जैसा रहा है. कोरोना महामारी के कारण लगे लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था चरमरा गई थी. अब जरूरी है कि नीति निर्माता रिकवरी की इस गति को बनाए रखें.
चुनौतियां बनी हुई हैं. इनसे बाहर निकलने के लिए आउट-ऑफ-द-बॉक्स आइडिया लाने होंगे. तभी उन सेक्टरों में भी सुधार होगा, जो अब तक कोविड की मार से जूंझ रहे हैं. प्रक्रिया चालू है और उम्मीद है कि आगे और कोई नई अड़चनें नहीं पैदा होंगी.
देश को रिवाइवल का इंतजार है, ताकि कैपिटल इन्वेस्टमेंट के जरिए नौकरियों के मौके बढ़ाए जा सकें. बेरोजगारी हमारे देश की सबसे बड़ी समस्या है. इंडिया इंक अगर कैपिटल एक्सपेंडिचर में पैसे लगाती है, तो इस परेशानी का सीधे तौर पर निवारण किया जा सकेगा.