Global Bond Index: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के पास 14 डिफरेंट टेन्योर में 203 बिलियन डॉलर (आउटस्टैंडिंग वैल्यू) के बांड बिना किसी सीलिंग लिमिट (FAR रूट के तहत) के खरीदने का मौका है. एक रिपोर्ट के अनुसार, ये सिग्निफिकेंट मार्केट ग्लोबल बॉन्ड इंडेक्स में भारत को शामिल करने की मांग करता है.
रिपोर्ट, जिसमें क्रेडिट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के डेटा का हवाला दिया गया है, ने आगे कहा कि ब्लूमबर्ग-बार्कलेज और JP मॉर्गन जैसे ग्लोबल बॉन्ड इंडेक्स में भारत का पोटेंशियल वेट 0.3 से 10 प्रतिशत पॉइंट की वाइड रेंज में हो सकता है.
रिपोर्ट में ICICI बैंक के ग्लोबल मार्केट्स के ग्रुप हेड बी प्रसन्ना के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है, “हमारा मानना है कि JPM और ब्लूमबर्ग-बार्कलेज जैसे ग्लोबल बॉन्ड इंडेक्स प्रोवाइडर्स के लिए इस मार्केट को लंबे समय तक नजरअंदाज करना बहुत मुश्किल होगा.” . यदि भारत को ग्लोबल बॉन्ड इंडेक्स में शामिल किया जाता है, तो देश के डेट मार्केट में अगले 10 सालों में 250 बिलियन डॉलर का फंड इनफ्लो हो सकता है. मॉर्गन स्टेनली के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्केट में इस फंड इनफ्लो से सरकार की उधारी लागत में 50 बेसिस पॉइंट की कमी आ सकती है.
यदि केवल FAR (फुली एक्सेसिबल रूट) सिक्योरिटीज को JPM इमर्जिंग मार्केट्स बॉन्ड इंडेक्स में शामिल किया जाता, तो भारत इंडेक्स में 10% वेट कैप को हिट करने की स्थिति में होता. BofA सिक्योरिटीज के सिंगापुर बेस्ड एक्सपर्ट अभय गुप्ता ने कहा ” FAR एलिजिबल सिक्योरिटीज, वर्तमान में लगभग 18% के आउटस्टैंडिंग सॉवरेन बांड पर, इंडेक्स में कई अन्य देशों की तुलना में अभी भी काफी बड़ी हैं.
अगर ब्लूमबर्ग ग्लोबल एग्रीगेट इंडेक्स में शामिल किए जाने पर भारतीय बॉन्ड्स का वेटेज 0.35% (मार्केट कैपिटलाइजेशन के आधार पर) के करीब हो जाता है, तो रिपोर्ट में कहा गया है कि अनुमान के मुताबिक 7-8 बिलियन डॉलर का इनफ्लो हो सकता है. JPM GBI-EM GD में मैक्सिमम 10% का, बोफा सिक्योरिटीज के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि यह लगभग 22-25 बिलियन डॉलर इनफ्लो में तब्दील हो सकता है.
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