India Toy Buisness: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘वोकल फोर लोकल’ की अपील के बाद देश में भारतीय खिलौनों की न सिर्फ मांग बढ़ी है बल्कि देश के भीतर बड़े पैमाने पर इसका उत्पादन भी होने लगा है. एक समय था, जब देश चाइनीज कंपनियों के खिलौनों से अटा पड़ा था, लेकिन अब धीरे-धीरे ही सही स्थिति फिर से बदलने लगी है. जी हां, दादी-नानी की कहानियां और खेल-खेल में बच्चों को तहजीब सिखाने की रवायत बहुत ही पुरानी है और खेल में अगर बच्चों को खिलौनों का साथ मिल जाए तो सोने पर सुहागा जैसा लगने लगता है. शायद यही वजह है कि बच्चे कपड़े के चटकीले रंग और मिट्टी के सुनहरे रंग में खेलते हैं, उनसे सीखते हैं और अपने अबोधपन को खिलौनों में ही तलाशते नजर आते हैं.
देश के प्रधानमंत्री ने पहली बार खिलौनों की तरफ रखी निगाह
यह बात और है कि हम खिलौनों में अपनी माटी की सोंधी खुशबू तलाशते हैं, लेकिन इसमें चाइनीज खिलौनों ने बच्चों के मन-मस्तिष्क पर अपनी छाप छोड़ दी थी, लेकिन अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘वोकल फोर लोकल’ की अपील के बाद हिंदुस्तानी खिलौनों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज करानी शुरू कर दी है.
इस संबंध में टॉय एसोसिएशन ऑफ इंडिया के संयोजक नरेश गुप्ता बताते हैं कि पहली बार ऐसा हुआ है कि हमारे देश के प्रधानमंत्री ने खिलौनों की तरफ निगाह रखी है और वोकल फोर लोकल को बढ़ावा देने की बात कही है.
इसके बाद से टॉय इंडस्ट्री में सभी मैन्युफैक्चरर भी बेहद उत्साहित हैं और सभी को बहुत उम्मीद है कि हम अपने भारत वर्ष को खिलौनों का हब बना पाएंगे.
100 बिलियन डॉलर का वैश्विक खिलौना बाजार
वैश्विक खिलौना बाजार करीब 100 बिलियन डॉलर का है. इसमें भारत की हिस्सेदारी सिर्फ डेढ़ मिलियन डॉलर के आसपास की ही है. आज हम अपनी आवश्यकता के लगभग 80 फीसदी खिलौने आयात करते हैं. भारत में खिलौना बाजार तकरीबन 16 हजार करोड़ रुपये का है, जिसमें 25 फीसदी ही स्वदेशी हैं, जबकि बाकी खिलौने विदेशी हैं.
खिलौना उद्योग को पंख लगाने की कोशिश
हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने टॉयकथॉन 2021 में प्रतिभागियों के साथ बातचीत करते हुए लोगों से ‘वोकल फॉर लोकल’ टॉयज यानि ‘स्थानीय खिलौनों की ओर रुख करने’ का आग्रह किया. इसके अलावा ‘इंडिया टॉय फेयर-2021’ का उद्घाटन कर पीएम मोदी ने खिलौना उद्योग की संभावनाओं को पंख लगाने की कोशिश की.
संभावनाओं के खुल सकते हैं द्वार
अब समाज के अंतिम पायदान पर खड़े लोग भी खिलौना उद्योग से जुड़कर सम्मान का अनुभव कर रहे हैं. साथ ही उनकी आजीविका भी बखूबी चल रही है. कार्यकुशलता और दक्षता ऐसी कि संसाधन और मौके मिले तो चाइनीज खिलौनों को मात देने में कोई कोर कसर बाकी न छोड़ें. ग्रेटर नोएडा के आसपास प्रस्तावित टॉय सिटी भारत में खिलौना व्यवसाय की संभावनाओं के नए द्वार खोल सकते हैं. भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ खिलौना उद्योग के नव प्रवर्तकों और रचनाकारों के लिए एक बड़ा असर है.