वैश्विक भूख सूचकांक (Global Hunger Index) में 94 से खिसक कर 101 पर आने के बाद भारत सरकार ने अपनी रैंकिंग सुधारने के उपायों पर काम शुरू कर दिया है. इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार पूरे देश का कंजम्पशन पैटर्न समझने के लिए सरकार ने फूड कंजम्पशन सर्वे शुरू कर दिया है ताकि अपडेट डेटा मिल सके. इससे पहले ये सर्वे 2021 में हुआ था. सबसे ज्यादा समस्याग्रस्त क्षेत्रों की पहचान करने और भारत की रैंकिंग को दोबारा ऊपर उठाने के प्रयासों के लिए बैठकों का दौर जारी है. पिछले दिनों सभी स्टेक होल्डर मिनिस्ट्रीज के साथ नीति आयोग के अध्यक्ष राजीव कुमार की अध्यक्षता में भी एक उच्च स्तरीय बैठक हुई थी. ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2021 में भारत दुनिया के 116 देशों में से 101वें स्थान पर खिसक गया है. भारत 2020 में 107 देशों में से 94वें स्थान पर था.
एक टॉप गवर्नमेंट ऑफिसर के मुताबिक मीटिंग कमजोर स्पॉट का जायजा लेने और आने वाले साल में रैंकिंग सुधारने के लिए उन पर काम करने के लिए थी. अधिकारी के मुताबिक ताजा आंकड़ों का न मिल पाना ये जाहिर करता है कि कुपोषण और कम पोषण वाले क्षेत्रों में जो काम हुए हैं उनका कोई रिकॉर्ड नहीं रखा जा सका. यही वजह है कि फिर से सर्वे कराने पर सहमति बन चुकी है. क्योंकि पिछला सर्वे हुए काफी समय बीत चुका है. पिछला सर्वे साल 2021 में हुआ था.
इस अधिकारी ने ये जानकारी भी दी कि भारत हंगर इंडेक्स के नाम से सहमत नहीं है. इस सूचकांक का नाम बदलने की जरूरत महसूस की जा रही है. हालांकि देश में अब भी कुपोषण और कम पोषण जैसी समस्याएं मौजूद हैं. जिसे मिटाने के लिए बहुत काम किया जा रहा है. इसलिए इसे भूख सूचकांक कहना ठीक नहीं है.
ग्लोबल हंगर इंडेक्स नेशनल, रीजनल और ग्लोबल स्तर पर भूख को जीरो तक लाने वाले प्रयासों का आकलन करता है. जीरो हंगर तक पहुंचने की समय सीमा 2030 रखी गई है. इसके लिए जिन चार इंडिकेटर्स पर सबसे ज्यादा फोकस है उसमें अल्प पोषण, चाइल्ड वेस्टिंग, चाइल्ड स्टंटिंग और बाल मृत्युदर शामिल हैं.
इस सूचकांक में भूख को 100 अलग अलग पैमानों पर आंका जाता है. जिसमें शून्य का मतलब बिलकुल भूख नहीं और सौ का मतलब सबसे खराब स्थिति है. हर देश के GHI को गंभीरता से कैटिगराइज किया जाता है. जिसमें कम से लेकर खतरनाक तक की स्थिति शामिल है.
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