कॉरपोरेट टैक्स कलेक्शन ने केंद्र को पिछले साल के 3.5 लाख करोड़ रुपये की तुलना में अप्रैल-मई 2021 में फिस्कल डेफिसिट को केवल 1.2 लाख करोड़ रुपये तक सीमित रखने में मदद की. भारतीय स्टेट बैंक की इकोनॉमिक रिसर्च टीम ने 19 जुलाई को जारी अपनी इकोरैप रिपोर्ट में लिखा है कि कॉरपोरेट इंडिया ने FY21 में कर्मचारियों (employee) की कॉस्ट में औसतन 3% की कटौती की है. चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर सौम्या कांति घोष ने रिपोर्ट में लिखा है, “भारतीय कंपनियों के मुनाफे में लो इंटरेस्ट कॉस्ट, खर्च में कमी और कम टैक्स इन तीन बेनिफिट के चलते एक महत्वपूर्ण सुधार दिखाई देता है”
“FY21में एम्प्लॉई कॉस्ट में औसतन 3% की कटौती की गई है. सबसे ज्यादा कटौती उन कर्मचारियों की कॉस्ट में है, जिनका सामना कंज्यूमर से होता है.’ जिन सेक्टर के कर्मचारियों की कॉस्ट में उल्लेखनीय कमी आई है उनमें कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, रेडीमेड गारमेंट और हेल्थकेयर आदि शामिल हैं.
SBI की रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि करंट फाइनेंशियल ईयर(FY22) के पहले दो महीनों में कॉर्पोरेट टैक्स का कलेक्शन इतना बढ़ा है कि यह FY20 की समान अवधि में 16,981 करोड़ रुपये से 2.56 गुना बढ़कर 43,454 करोड़ रुपये हो गया है. FY19 में कलेक्शन महज 1,126 करोड़ रुपये था. एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस उछाल ने केंद्र सरकार को 1.2 लाख करोड़ रुपये के अंदर फिस्कल डेफिसिट को कंट्रोल करने में मदद की है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कॉर्पोरेट टैक्स में ये उछाल केंद्र को अपने टैक्स रेवेन्यू गोल को आसानी से पूरा करने में मदद कर सकता है.
प्रोफिटेबिलिटी में भारी ग्रोथ पर टिप्पणी करते हुए, रिपोर्ट में बताया गया है कि FY21 में लगभग 4,000 लिस्टेड कंपनियों ने टॉप लाइन में 5% की गिरावट दर्ज की, एबिटा और पैट में FY20 की तुलना में क्रमशः 24% और 105% की ग्रोथ हुई. रिपोर्ट में कहा गया है- “सबसे महत्वपूर्ण, 15 सेक्टर्स ने महामारी वर्ष FY21 के दौरान लोन फंड में लगभग 2.09 लाख करोड़ रुपये की कमी की है. रिफाइनरियों, स्टील, फर्टिलाइजर्स, टेक्सटाइल, माइनिंग, आदि जैसे सेक्टरों ने FY21 में अपने लोन फंड को 6% से 64% तक कम कर दिया है”
इंटरनेशनल मोनेटरी फंड ने कहा कि भारत उन देशों में से एक है जो कोविड -19 महामारी से सबसे अधिक प्रभावित हुआ है. अक्टूबर 2020 में IMF की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी ने 4 करोड़ से अधिक भारतीयों को अत्यधिक गरीबी की ओर धकेल दिया है.
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल और मई में 2.27 करोड़ लोगों की नौकरियां चली गई, जो संक्रमण की दूसरी लहर के दो सबसे खराब महीने थे. “अगर हम अप्रैल 2021 में कोविड -19 की दूसरी लहर शुरू होने की बात करें, तो इस लहर के दौरान हुई गिरावट 22.7 मिलियन की थी. अप्रैल में 7.4 मिलियन और मई में 15.3 मिलियन लोगों की नौकरियां चली गई. CMIE ने जुलाई में अपनी रोजगार रिपोर्ट में कहा, जून ने इस क्युमुलेटिव फॉल (संचयी गिरावट) का लगभग एक तिहाई ही रिकवर किया है.
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