भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में बड़ी गिरावट देखने को मिली है. यह आठ हफ्ते में पहली बार 648.6 बिलियन डॉलर से गिरकर 643.2 बिलियन डॉलर पर आ गया है. यह आंकड़ा 12 अप्रैल तक का है. पिछले सात सप्ताह में 32.5 बिलियन डॉलर की वृद्धि के बाद यह पिछले तीन महीनों में सबसे बड़ी गिरावट है. इस गिरावट की वजह पश्चिम एशिया में भू-राजनीतिक तनाव को माना जा रहा है. जानकारों के मुताबिक ग्लोबल स्तर पर चल रही अनिश्चितता के चलते रुपया दबाव में है और अमेरिका में ब्याज दरें लंबे समय तक ऊंचे बने रहने का अनुमान है.
फॉरेन करेंसी एसेट में बदलाव आरबीआई के हस्तक्षेप और विदेशी परिसंपत्तियों के मूल्य में उतार-चढ़ाव के चलते होता है. घरेलू मु्द्रा 83.54 तक कमजोर हो गई थी. यह शुक्रवार को 83.47 पर बंद हुआ. वहीं इस सप्ताह के दौरान, डॉलर के मुकाबले रुपए में 0.1% की गिरावट आई. भू-राजनीतिक तनाव के बीच डॉलर के मुकाबले रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ. विश्लेषकों का अनुमान है कि आरबीआई ब्याज दरों में कटौती में देरी कर सकता है. वहीं ईरान के हमले पर से निवेशक सहमे हुए हैं, जिसके चलते विदेशी निवेशकों ने 4,468 करोड़ रुपए के शेयर बेचे हैं.
आरबीआई के डेटा के मुताबिक इस दौरान विदेशी करेंसी एसेट्स में भले ही गिरवट देखने को मिली है, लेकिन इस अवधि के दौरान गोल्ड रिजर्व में उछाल देखने को मिला है. गोल्ड रिजर्व 1.241 बिलियन डॉलर के उछाल के साथ 55.79 बिलियन डॉलर पर आ गया है. जबकि एसडीआर 93 मिलियन डॉलर की कमी के साथ 18.07 बिलियन डॉलर और इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड के पास जमा रिजर्व 35 मिलियन डॉलर की कमी के साथ घटकर 4.63 बिलियन डॉलर पर आ गया है.