रूस के कच्चे तेल की खरीद पर भारत को मिल रहा डिस्काउंट बीते 2 महीने में दोगुना हो गया है. रिपोर्ट के मुताबिक भारत को रूस के कच्चे तेल पर अब प्रति बैरल 8-10 डॉलर का डिस्काउंट मिल रहा है. पहले रूस की तरफ से भारत को डिस्काउंट बंद किया गया था, लेकिन भारतीय आयातकों ने रूस से तेल खरीद घटाकर डिस्काउंट बढ़ाने के लिए दबाव बनाया था. जो काम आया और सितंबर के दौरान भारत में आयात हुए कच्चे तेल में रूस के कच्चे तेल की हिस्सेदारी बढ़कर 38 फीसद हो गई है, जबकि अगस्त के दौरान रूस के कच्चे तेल की हिस्सेदारी 33 फीसद थी.
रूस के कच्चे तेल के आयात में दो-तिहाई हिस्सेदारी रखने वाली घरेलू सरकारी रिफाइनरीज ने सितंबर में रूस से ऑयल इंपोर्ट में 25 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की है, जबकि अगस्त में इंपोर्ट में 30 फीसद की गिरावट दर्ज की गई थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकारी रिफाइनरीज ज्यादा से ज्यादा डिस्काउंट पाने और भुगतान जटिलताओं से बचने के लिए मुख्य रूप से गैर-रूसी संस्थाओं से रूस के तेल खरीदारी कर रही हैं.
बता दें कि ये सप्लायर्स आमतौर पर साधन संपन्न कारोबारी होते हैं जिनके पास रूसी तेल हासिल करने, प्रतिबंध और रसद बाधाओं से संबंधित चिंताओं को दरकिनार करते हुए इसे भारतीय बंदरगाहों तक सुरक्षित रूप से पहुंचाने की क्षमता होती है. सरकारी रिफाइनरीज के द्वारा करीब सभी रूसी तेल की खरीदारी हाजिर बाजार में की जाती है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन की कुल कच्चे तेल की खरीद में रूस के तेल हिस्सेदारी करीब आधी, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन द्वारा खरीदे गए कच्चे तेल में रूस के तेल की हिस्सेदारी करीब एक तिहाई है.
सप्लायर्स की प्राथमिकताओं के आधार पर सरकारी रिफाइनरीज के द्वारा रूस के तेल का भुगतान अमेरिकी डॉलर और यूएई दिरहम में किया जाता है. हालांकि रिफाइनरीज के द्वारा चीन की मुद्रा युआन में भुगतान पर सरकार के द्वारा असंतोष जताने के बाद रूस के तेल के भुगतान के लिए युआन का उपयोग बंद हो गया है.