भारत की कारोबारी गतिविधियां आठ महीनों में मार्च में सबसे तेज गति से बढ़ी है. इससे विश्व के सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की रेस में बने रहने की उम्मीद बढ़ गई है. एसएंडपी ग्लोबल एचएसबीसी फ्लैश इंडिया कंपोजिट परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) फरवरी में 60.6 अंक पर था जो मार्च में बढ़कर 61.3 के स्तर पर आ गया. लगातार 32वें महीने इसमें विस्तार देखा गया है.
भारत की व्यावसायिक गतिविधि इस वित्त वर्ष में अपने उच्चतम स्तर पर समाप्त हुई है. एचएसबीसी के मुख्य अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी ने कहा कि लगभग साढ़े तीन साल में सबसे मजबूत मैन्युफैक्चरिंग उत्पादन के कारण कंपोजिट आउटपुट इंडेक्स में तेजी से बढ़त हुई है. नए ऑर्डर पिछले महीने की तुलना में तेज़ गति से बढ़े हैं. घरेलू और निर्यात दोनों ऑर्डरों में सुधार हुआ है.
मैन्यूफैक्चरिंग में जबरदस्त तेजी
कंपोजिट पीएमआई इंडेक्स में मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में हुई प्रगति ने अहम योगदान दिया है. मार्च में मैन्यूफैक्चरिंग पीएमआई 59.2 के स्तर पर रहा जो फरवरी 2008 के बाद से सबसे ज्यादा है. पिछले महीने यानी फरवरी में यह 56.9 था. एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की तैयारी करने वाले भारत में फैक्ट्री के सामानों की मांग मजबूत बनी हुई है. साथ ही नए ऑर्डरों में तीन वर्षों में सबसे तेज वृद्धि दर्ज की गई है. इस बीाच सेवा गतिविधि भी मजबूत रही, हालांकि, सूचकांक पिछले महीने के 60.6 से थोड़ा कम होकर मार्च में 60.3 पर आ गया.
सात महीनों में सबसे तेज गति से बढ़ा निर्यात
रिपोर्ट के मुताबिक देश का कुल निर्यात सात महीनों में सबसे तेज़ गति से बढ़ा है. इस महीने व्यापार में होने वाले इजाफे से आने वाले वर्ष में भी फायदा होगा. कंपनियों ने सितंबर के बाद से सबसे तेज गति से नियुक्तियां भी बढ़ाई हैं, हालांकि इस महीने कुल मिलाकर कीमतों का दबाव बढ़ गया है. सर्विस देने वाली कंपनियों में इनपुट लागत सात महीनों में सबसे तेज गति से बढ़ी, जबकि चार्ज की गई कीमतों में जुलाई 2017 के बाद से सबसे तेज वृद्धि देखी गई. हालांकि निर्माताओं की ओर से चार्ज की गई कीमतें मार्च में एक साल से अधिक की सबसे कमजोर गति से बढ़ीं. इससे संकेत मिलता है कि महंगाई स्तर स्थिर रह सकती है, जिससे भारतीय रिज़र्व बैंक को जल्द ही ब्याज दरों में कटौती करने के लिए कम प्रोत्साहन मिलेगा.