रोजगार और सैलरी वालों के लिए पिछला वित्त वर्ष दो अलग-अलग ट्रेंड देखने को मिले. किसी के हाथ लाचारी आई तो किसी को रिवॉर्ड मिला. एक तरफ लाखों ने नौकरी खोई और कईयों की नौकरी गई, तो वहीं दूसरी ओर इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, फाइनेंशियल सर्विस, हेल्थकेयर, ई-कॉमर्स, टेक स्टार्टअप, FMCG और BPO के कर्मचारियों की सैलरी में अच्छा उछाल भी आया. कम लागत और कर्मचारियों पर कम खर्च से इन कंपनियों के मुनाफे में जोरदार उछाल देखे को मिला है. ये उन खुशकिस्मत परिवारों के लिए अच्छी खबर है लेकिन अब भी ऐसे कई सेक्टर हैं जहां कार्यरत लोग रोजमर्रा की जरूरतों के लिए भी जूझ रहे हैं.
होटल्स, एंटरटेन्मेंट, ट्रैवल. मैन्युफैक्चरिंग, रियल एस्टेट जैसे कुछ अहम सेक्टर्स के लोगों की किस्मत इतनी अच्छी नहीं है और वे इस दौर में अलग-अलग परेशानियों का सामना कर रहे हैं. कॉरपोरेट सेक्टर के आलावा भी कई अन्य सेक्टर हैं जहां महामारी की दोनों लहर में लाखों लोग बेरोजगार हुए हैं और गरीबी के चंगुल में फंस रहे हैं. कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर में अप्रैल से मई के बीच 2.27 करोड़ लोग बेरोजगार हुए. इस लिहाज से मई महीने सबसे खराब रहा जहां बेरोजरागी दर बढ़कर 11.9 फीसदी पर पहुंच गई थी.
हालांकि, अब राज्यों द्वारा धीरे-धीरे प्रतिबंधों में दी जा रही ढील से बेरोजगारी दर में भी कमी आ रही है. लेकिन, सरकार के सामने अब भी बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार देने की चुनौती खड़ी है. आठ हफ्तों के बड़े अंतराल के बाद 25 जून को बेरोजगारी दर सिंगल डिजिट में लौटी और तब से नीचे ही आ रही है. लेकिन, असंगठित क्षेत्र इस दौर में सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है जहां श्रमिक दैनिक मजदूरी पर निर्भर करते हैं और लॉकडाउन जैसे समय में खर्च के लिए उनके पास ज्यादा सेविंग्स नहीं है.
हैरानी की बात तो ये है कि केंद्रीय कर्मचारी, जो सबसे ज्यादा सुरक्षित सैलरीड क्लास हैं, उनमें भी मिडिल क्लास को परेशानी हो रही है. उनका महंगाई भत्ता जनवरी 2020 से अटका पड़ा है जिससे 1 करोड़ से ज्यादा कर्मचारियों पर सीधा असर पड़ रहा है.