मैक्रो इंडिकेटर्स की ओर से सुधार के संकेत मिलने से कुछ राहत का माहौल बना है. वित्त वर्ष 2022 के लिए IMF की ओर से 9.5 प्रतिशत की दर से आर्थिक वृद्धि के अनुमान बताते हैं कि इकॉनमी के मोर्चे पर प्रोग्रेस हुई है.
अन्य सभी एजेंसियों ने 8.2-9.5 फीसदी ग्रोथ रेट का अनुमान दिया है. वहीं, एशियन डेवलपमेंट बैंक ने दहाई अंकों (10%) की वृद्धि की उम्मीद जताई है. IMF का ग्रोथ प्रोजेक्शन RBI और S&P के अनुमान से मेल खाता है.
IMF का कहना है कि मुख्य रूप से टीकाकरण की रफ्तार बढ़ने से एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का ग्रोथ प्रोजेक्शन बढ़ा है. वर्ल्ड इकनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत फिर से दुनिया की सबसे तेजी से बढ़त दर्ज करने वाली मेजर इकनॉमी बन सकता है. देश चीन को पीछे छोड़ सकता है.
फेस्टिव सीजन से मिल सकती है और राहत
नीति निर्माता अब फेस्टिव सीजन से रिकवरी को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद कर सकते हैं. सरकार भी देश में प्राइवेट कैपिटल को बढ़ावा देने के लिए अपने हालिया फैसलों पर जोर दे रही है.
फिलहाल बने इस अच्छे माहौल में कुछ और मोर्चे से समर्थन मिल रहा है. निर्यात में अच्छी वृद्धि हो रही है. कृषि क्षेत्र अर्थव्यवस्था में बड़ी भूमिका निभा रहा है. फॉरेन रिजर्व से भी राहत मिल रही है. निर्यात में इस स्तर पर बढ़त हुई है कि क्रूड और कोल की कीमतें बढ़ने के बावजूद करंट अकाउंट सरप्लस में चल रहा है. महंगाई में भी धीमी, मगर लगातार गिरावट देखने को मिल रही है.
हालांकि, तीसरी लहर अगर जरा भी दूसरी वेव जितनी खरतरान हुई, तो सारी गणित उल्टी पड़ जाएगी. टीकाकरण में किसी तरह की ढील नहीं की जा सकती है. रोजाना लगने वाली डोज की संख्या को एक करोड़ के ऊपर ले जाना के लिए पूरा प्रयास करने होंगे.
सभी ग्रोथ इंजन के साथ आकर कोरोना महामारी के कारण होने वाली उथलपुथल से देश को बाहर निकालना होगा. रोजगार सृजन के मामले में खासतौर पर काफी सुधार की जरूरत है. रिकवरी अभी कुछ ही स्तर तक हुई है और मुश्किलें खड़ी होने पर इसके वापस लुढ़कने में ज्यादा समय नहीं लगेगा.