एक टैक्सपेयर के रूप में आप टैक्स डेडक्टेड ऐट सोर्स (TDS) शब्द से परिचित होंगे. क्योंकि इसमें आपकी इनकम जैसे वेतन, किराया, बैंक खाते से ब्याज आदि से रकम की कटौती की जाती है. हालांकि कुछ सिनेरियो में आपका जमा किया गया टीडीएस सरकार के बकाया राशि से अधिक होता है. ऐसे में आप टीडीएस (TDS) रिफंड का लाभ उठा सकते हैं. आईए जानते हैं कि आप अतिरिक्त टीडीएस (TDS) रिफंड का दावा कैसे कर सकते हैं.
-एक टैक्स पेयर के रूप में आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करते समय आप रिफंड के लिए पूछ सकते हैं. जब काटा गया टैक्स आपके एक्चुअल payable टैक्स से मेल नहीं खाता है तो आप रिफंड की मांग कर सकते हैं. – आईटीआर (ITR) भरते समय आपको अपने बैंक का नाम और आईएफएससी (IFSC) कोड भरने करने के लिए कहा जाएगा. जिससे आईटी विभाग के लिए आपको भुगतान किए गए अतिरिक्त टैक्स का रिफंड देना आसान हो जाता है. -टैक्सेबल इनकम के अभाव में आपके पास सेक्शन 197 के जरिए फॉर्म 13 के तहत अपने आयकर अधिकारी से कम या शून्य टीडीएस (TDS) सर्टिफिकेट चुनने का ऑप्शन है. आप इसे अपने टीडीएस डिडेक्टर को जमा कर सकते हैं.
– फॉर्म 15जी डिक्लेरेशन जमा करने के बाद भी अगर आपका बैंक आपकी इंटरेस्ट इनकम पर टैक्स काटता है तो आप अपना आईटीआर भरकर रिफंड मांग सकते हैं. – हालांकि टैक्सेबल इनकम के अभाव में आपको फाइनेंसियल ईयर के अंत से पहले 15G फॉर्म में एक डिक्लेरेशन सबमिट करनी होगी. ताकि यह इन्फॉर्म किया जा सके कि आपकी कोई टैक्सेबल इनकम नहीं है. और इसलिए इस पर कोई टीडीएस (TDS) नहीं होना चाहिए.
– अगर आपकी उम्र 60 साल या इससे अधिक है और आपके पास फिक्स्ड डिपाजिट खाता है तो आपको इयरली 50,000 रुपये तक अर्जित फिक्स्ड डिपाजिट इंटरेस्ट पर टैक्स कटौती से छूट प्राप्त है. एक फाइनेंसियल ईयर के लिए टैक्सेबल इनकम की अनुपस्थिति में आपको बैंक को इन्फॉर्म करते हुए फॉर्म 15H जमा करना होगा कि आपकी कोई टैक्सेबल इनकम नहीं है. -अगर बैंक आपके इन्फॉर्म करने के बावजूद अभी भी टैक्स काटता है. तो आप आईटीआर भरकर रिफंड का दावा कर सकते हैं.
– सबसे पहले आपको आयकर विभाग के वेब पोर्टल https://incometaxindiaefiling.gov.in/ पर अपना रजिस्ट्रेशन करना होगा. – रजिस्ट्रेशन के बाद आपको आईटीआर फॉर्म डाउनलोड करके अपना इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करना होगा. – उसके बाद वहां मांगी गयी जानकारी को पूरा भर के फॉर्म को अपलोड कर के सबमिट पर क्लिक कर दें. – आईटीआर जमा करने के बाद रिसीप्ट जेनरेट होती है. जिसे आपको ई-वेरीफाई करना होगा. ई-वेरिफिकेशन डिजिटल हस्ताक्षर, आधार बेस्ड वन-टाइम पासवर्ड या आपके नेट बैंकिंग खाते के द्वारा पूरा किया जा सकता है. – यदि आप आईटीआर का ई-वेरिफिकेशन नहीं कर सकते हैं. तब आप आईटी विभाग को साइंड फिजिकल कॉपी प्रदान करके वेरिफिकेशन प्रक्रिया को पूरा कर सकते हैं.
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