रेटिंग एजेंसी इक्रा ने सोमवार को भारत के लिए अपने 2021-22 के वास्तविक जीडीपी वृद्धि के अनुमान में बदलाव करते हुए उसे पहले के 8.5 प्रतिशत से बढ़ाकर नौ प्रतिशत कर दिया. एजेंसी ने एक बयान में कहा कि कोविड -19 टीकाकरण में तेजी, खरीफ (गर्मी की) फसल के स्वस्थ अग्रिम अनुमान और सरकारी खर्च में तेजी ऐसे कारक हैं जिनकी वजह से यह बदलाव किया गया.
गौरतलब है कि 2020-21 में 7.3 प्रतिशत के संकुचन के बाद, 2021-22 में बेहतर वृद्धि के आंकड़े की उम्मीद की जा रही है.
हालांकि, वित्त वर्ष की शुरुआत में कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर ने विश्लेषकों को अधिक चौकस कर दिया. महामारी की दूसरी लहर से देश के ग्रामीण इलाके भी प्रभावित हुए. भारतीय रिजर्व बैंक को उम्मीद है कि अर्थव्यवस्था 9.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी.
इक्रा ने सोमवार को कहा कि उसे उम्मीद है कि वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में बेहतर संभावनाएं होंगी.
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, “कोविड-19 टीकों के व्यापक कवरेज से विश्वास बढ़ने की संभावना है, जो संपर्क-गहन सेवाओं की मांग को फिर से सक्रिय करेगा. इससे महामारी से सबसे अधिक प्रभावित अर्थव्यवस्था के हिस्से के पुनरुद्धार में मदद मिलेगी.”
उन्होंने कहा कि मजबूत खरीफ फसल से कृषि क्षेत्र से खपत की मांग को बनाए रखने की संभावना है, जबकि पहले के नकद प्रबंधन दिशानिर्देशों को वापस लेने के बाद केंद्र सरकार के खर्च में अपेक्षित तेजी समग्र मांग के इस क्षेत्र में नयी ऊर्जा डाल देगी.
अर्थशास्त्री ने कहा कि नौ प्रतिशत जीडीपी वृद्धि के नये अनुमान पर मुख्य रूप से संभावित तीसरी लहर और मौजूदा टीके के कोरोना विषाणु के नए उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) के खिलाफ अप्रभावी होने पर असर पड़ सकता है.
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