लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को ग्रीन हाइड्रोजन योजना की घोषणा की है. आगामी समय में भारत ऐसा देश होगा जहां पेट्रोल-डीजल के अलावा हाइड्रोजन से चलने वाली गाड़ियां सड़कों पर दौड़ेंगी. हालांकि इस योजना की घोषणा से पहले ही भारत में ऐसे वाहन मौजूद हैं. दिल्ली की बात करें तो यहां करीब 50 DTC की बसों में डीजल के साथ हाइड्रोजन का भी इस्तेमाल किया जा रहा है. क्या है ग्रीन हाइड्रोजन और इससे क्या बदलाव हो सकता है, आइए जानते हैं.
ग्रीन हाइड्रोजन न सिर्फ पेट्रोल और डीजल से सस्ता होगा बल्कि साल 2030 तक बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां चलाने में भी मदद करेगा. ऊर्जा विशेषज्ञ नरेंद्र तनेजा का मानना है कि हाइड्रोजन अभी काफी हद तक रिसर्च की स्टेज में है. मोदी सरकार ने इसके लिए 800 करोड़ रुपये तक का बजट भी मंजूर किया है. दिल्ली में अभी 50 बसें हाइड्रोजन के जरिए चल रही हैं. उन्होंने बताया कि फिलहाल देश में हाइड्रोजन ईंधन दो तरह की तकनीक से तैयार हो रहा है. पानी को इलेक्ट्रोलाइसिस करके हाइड्रोजन गैस तैयार होती है जबकि दूसरी तकनीक नेचुरल गैस से कार्बन और हाइड्रोजन को तोड़कर तैयार किया जाता है.
इसी साल फरवरी में आम बजट के दौरान नेशनल हाइड्रोजन मिशन की घोषणा हुई थी. इसके बाद सरकार की बड़ी-बड़ी कंपनियां इंडियन ऑयल, ONGC सहित रिलायंस और अडानी समूह तक की कंपनियों ने हाइड्रोजन ईंधन पर काम करने की घोषणा की थी. क्लाइमेट ट्रेंड निदेशक आरती खोसला का कहना है कि भविष्य में ऊर्जा के स्त्रोत में बढ़ोतरी होगी. साल 2047 यानी आजाद भारत के 100 वर्ष पूरे होने तक हाइड्रोजन ईंधन के रुप में मजबूत आत्मनिर्भर भारत देखने को मिलेगा.
केंद्र सरकार के अनुसार अभी भारत में 100 गीगावाट हरित ऊर्जा उत्पादन की क्षमता विकसित हो चुकी है जिसे अगले साल यानी 2022 तक 175 और 2030 तक 450 गीगावाट तक ले जाने का काम शुरू हो चुका है. वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्लास्गो में होने वाली कॉप-26 की बैठक से पहले मोदी सरकार की यह घोषणा जलवायु संकट से लड़ने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगी.
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