Hausla Yojana: कहते हैं किसी भी महिला के जीवन में उसकी आर्थिक स्वतंत्रता बेहद जरूरी होती है। यह उनको अपने खुद के फैसले लेने और आत्मनिर्भर बनाने में मदद करती है. अब इसी सिलसिले में केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने, ऊर्जा प्रदान करने और उनके सपनों को पूरा करने के लिए ‘हौसला’ योजना शुरू की है. ‘हौसला’…. इसका उद्देश्य महिलाओं के विकास को प्रोत्साहित करना और महिला उद्यमिता को बढ़ावा देना है. उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के अनुसार, इसके माध्यम से जम्मू कश्मीर में महिलाओं के सामाजिक आर्थिक विकास के लिए नए अध्याय की शुरुआत हो रही है. इसके तहत महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा और स्थानीय महिला उद्यमियों को प्रोत्साहित कर उन्हें आगे लाया जाएगा.
अब जम्मू कश्मीर की महिलाओं को मार्केट, नेटवर्क, प्रशिक्षण और सहयोग दिया जाएगा. हौसला योजना को वैज्ञानिक तरीके से चलाया जाएगा. उपराज्यपाल कहते हैं कि यह योजना एक मजबूत बुनियाद है, इससे हमारी बहनों और बेटियों को आर्थिक सामाजिक स्वतंत्रता मिलेगी. हालांकि, सरकार अभी तीन कार्ययोजना पर काम कर रही है. इनमें महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाना, नेतृत्व की भूमिका में उनकी अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित करना और स्वास्थ्य एवं आर्थिक विकास के लिए काम करना शामिल हैं. इससे महिलाओं की भागीदारी आईटी, टेलीमेडिसिन, ई-लर्निंग बिजनेस, फैशन, पेंटिंग, हथकरघा, ई-कॉमर्स आदि जैसे क्षेत्रों में बढ़ेगी.
We would continuously work on the "Three Pillars of Action”: Making women Financially Independent, Ensuring their maximum participation in Leadership role, and paying special attention to their health & socio-economic security.
— Office of LG J&K (@OfficeOfLGJandK) June 29, 2021
‘हौसला’ का पहला बैच जम्मू कश्मीर ट्रेड प्रमोशन ऑर्गनाइजेशन के नेतृत्व में इंडस्ट्री के सहयोगियों और एसएमई फोरम द्वारा शुरू किया जाएगा. जुलाई से शुरू होने वाले यह कोर्स 5 महीने का होगा, जिसमें 100 महिला उद्यमियों को शामिल किया गया है. इस कार्यक्रम में महिला उद्यमियों को बैंकिंग-टाई-अप और पॉलिसी इंसेंटिव के माध्यम से उचित दरों पर वित्तीय सहायता दी जाएगी. मुद्रा और सीड-कैपिटल फंड स्कीम जैसी केंद्रीय और केंद्र शासित प्रदेशों की योजनाओं को लागू करने और लाभ उठाने के लिए प्रतिभागियों को समर्थन और सुविधा दी जाएगी.
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा बताते हैं कि पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे की 2018-19 की रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण इलाकों में फीमेल सेल्फ एम्प्लॉयमेंट 59.6 प्रतिशत है जबकि पुरुषों में यह 57.4 प्रतिशत है. वहीं शहरी इलाकों में 54.75 महिलाएं या तो नौकरी या फिर अपना काम कर रही हैं, और उनकी तुलना में मात्र 47.2 प्रतिशत पुरुष रेगुलर नौकरी में हैं.
कहते हैं जब वर्तमान में कोई ऐतिहासिक शुरुआत होती है तब इतिहास के कुछ धागे अपने आप खुलते हैं. एक जमाने में जम्मू कश्मीर के तीन मुख्य कारोबार में महिलाओं का वर्चस्व था, इसमें पश्मीना शॉल, सिल्क और हैंडीक्राफ्ट शामिल थे. आपको जानकर हैरानी होगी कि 1946-97 में जम्मू कश्मीर की इंडस्ट्री ने 1 करोड़ 10 लाख रूपये की शॉल बेची थी, 97 लाख रुपये की सिल्क और 3 करोड़ 75 लाख रुपये के अन्य हेंडीक्राफ्ट के उत्पाद बेचे थे. इसमें सबसे ज्यादा योगदान जम्मू कश्मीर की महिलाओं का था.
5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर की महिलाओं को उनके पूरे अधिकार दिए गए और यही स्वर्ण युग की फिर से वापसी थी। तभी से आर्थिक सहायता और आत्मविश्वास के साथ महिलाओं को अधिकार संपन्न बनाने के लिए लगातार क्रांतिकारी कदम उठाए जा रहे हैं. किसी भी योजना को सफल बनाने के चार मूल मंत्र होते हैं तकनीक, सही माध्यम, सक्रिय भागीदारी एवं क्रियान्वयन. ये हौसला योजना भी इन चारों मूल मंत्र के माध्यम से महिलाओं को उड़ान देने का काम करेगी. आज महिलाओं की आकांक्षाएं भी बढ़ी हैं वे हर क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहती हैं और इसीलिए ये सभी का दायित्व है कि उन्हें उचित प्लेटफॉर्म मुहैया करवाया जाए.
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