GST On Paratha: रोटी या पराठे पर गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) की दरों पर बहस थमने का नाम नहीं ले रही है. गुजरात अथॉरिटी ऑन एडवांस रूलिंग्स (GAAR) ने कहा है कि एचएसएन कोड 1905 के तहत रोटी, चपाती या खाकरा पर 5% जीएसटी लगता है लेकिन प्रिजर्व्ड पराठे पर 18% जीएसटी लागू होगा. इसके पीछे बेंच ने तर्क दिया कि इन पराठों को खाने से पहले तवे पर 3-4 मिनट के लिए गर्म करना पड़ता है. इसलिए, इसे खाखरा, सादी चपाती या रोटी की कैटेगरी में नहीं रखा जा सकता.
आवेदक, वाडीलाल इंडस्ट्रीज ने AAR से इस बात पर स्पष्टता मांगी थी कि क्या उनके द्वारा सप्लाई किए जाने वाले विभिन्न प्रकार के ‘पराठे’ पर ‘खाखरा’, सादा चपाती या ‘रोटी’ के अनुरूप पांच प्रतिशत जीएसटी लगेगा.
अपने तर्क को पुष्ट करने के लिए, कंपनी ने विभिन्न अंग्रेजी शब्दकोशों और विकिपीडिया से ‘पराठा’ शब्द की परिभाषा दी, क्योंकि यह जीएसटी कानूनों और नियमों में परिभाषित नहीं है.
आवेदक ने कहा था कि पराठे को रोटी की कैटेगरी में रखा जाना चाहिए क्योंकि इसका प्रिपरेशन, कुकिंग और कंजम्पशन एक जैसा है.
वाडीलाल इंडस्ट्रीज आठ प्रकार के पराठे की सप्लाई करती है. मालाबार, मिक्सड वेजिटेबल, प्याज, मेथी, आलू, लच्छा, मूली और सादा.
इसकी सभी किस्मों का मुख्य घटक गेहूं का आटा है, जबकि अन्य सामग्री पानी, खाद्य वनस्पति तेल, नमक, एंटीऑक्सीडेंट आदि हैं. पराठों की सप्लाई और बिक्री पैक्ड कंडीशन में की जाती है.
आवेदक ने बताया कि पराठा आमतौर पर घरों में करी के साथ खाया जाता है, जिस तरह से चपाती या फुलका या रोटी का सेवन सब्जियों, अचार, मांस आदि के साथ किया जाता है.
हालांकि, अथॉरिटी वाडीलाल इंडस्ट्रीज के इन सबमिशन से सहमत नहीं था और कहा कि पराठा रेडी-टू-कुक प्रोडक्ट है रेडी-टू-ईट नहीं, इसलिए इस पर 18% जीएसटी लगेगा.
अथॉरिटी ने कहा, ‘पराठे (गेहूं का आटा 36% से 62%) का कंपोजिशन खाखरा/सादी चपाती से अलग है. इसके अलावा, आवेदक ने खुद स्वीकार किया है कि ‘पराठे’ को मानव उपभोग के लायक बनाने के लिए आगे प्रोसेस करना पड़ता है.
यानी, उसे खाने से पहले तवे पर गर्म करने की आवश्यकता होती है.’ AAR ने इस बात को भी पॉइंट आउट किया कि वाडीलाल के बेचे गए पैकेटों पर निर्देश में कहा गया है, ‘लगभग 3-4 मिनट के लिए मध्यम आंच पर गरम करें.’ अतिरिक्त स्वाद और कुरकुरेपन के लिए गर्म करने के दौरान तेल या मक्खन लगाने के लिए भी कहा जाता है.
ईवाई में टैक्स पार्टनर अभिषेक जैन ने इकोनॉमिक टाइम्स से कहा, ‘यह फैसला रोटी और पराठे के बीच अंतर कर रहा है. रेडी-टू-कुक बनाम रेडी-टू-ईट फूड के आधार पर ये फैसला दिया गया है जिससे अस्पष्टता पैदा हो सकती है.’
कर्नाटक एएआर ने पिछले साल ऐसा ही एक आदेश जारी किया था, जिसके बाद सोशल मीडिया पर इस सवाल पर हंगामा मच गया था कि समान खाद्य पदार्थों पर दो टैक्स रेट क्यों होना चाहिए?
अथॉरिटी ने कहा था कि फ्रोजन पराठे पर 18% टैक्स लगाया जाएगा, क्योंकि यह रेडी-टू-ईट नहीं है. वहीं सादे पराठे जो एक रेस्तरां में परोसा जाता था, उस पर 5% जीएसटी दर लागू होगी, जैसे कि सादी रोटी पर लगती है.
तमिलनाडु एएआर ने अगस्त में डोसा मिक्स, इडली मिक्स, टिफिन मिक्स, स्वीट मिक्स, हेल्थ मिक्स और दलिया मिक्स को 18 फीसदी टैक्स के दायरे में रखा था.
इसके अलावा पिछले महीने, गुजरात एएआर ने फैसला सुनाया कि पूरी पापड़ और अनफ्राइड पापड़ पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगेगा.
पर्सनल फाइनेंस पर ताजा अपडेट के लिए Money9 App करें।
बजट 2022: बजट को देखिए नहीं समझिए मनी 9 पर
Updated:February 2, 2022MoneyCentral: क्या खतरनाक है 5G? कितना खौलेगा कच्चा तेल?
Updated:January 20, 2022Arthaat: कंपनियां हुईं अमीर, आप हुए गरीब, लेकिन कैसे?
Updated:December 20, 2021गरीबी की नई नापजोख का सच क्या है?
Updated:December 13, 2021क्या होता है बेस इफेक्ट? ऐसे समझिए
Updated:November 30, 2021