GST on Ice Cream Parlour: आइसक्रीम पार्लरों पर टैक्स की दरें और राज्य सरकारों को खनिज अधिकारों (mineral rights) पर रॉयल्टी के भुगतान को लेकर जीएसटी काउंसिल का आया स्पष्टीकरण मुकदमेबाजी (litigation) का कारण बन सकता है. कुछ एक्सपर्ट्स के हवाले से बिजनेस स्टैंडर्ड ने इसे लेकर एक रिपोर्ट पब्लिश की है. जीएसटी काउंसिल ने शुक्रवार को लखनऊ में अपनी बैठक में स्पष्ट किया था कि आइसक्रीम पार्लर पहले से निर्मित आइसक्रीम बेचते हैं इसलिए इस पर 18 प्रतिशत टैक्स लगेगा.
खेतान एंड कंपनी के पार्टनर अभिषेक रस्तोगी ने कहा, आइसक्रीम पार्लर रेस्टोरेंट की तरह होते हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि दोनों ही खाद्य पदार्थों (eatables) के संबंध में कुछ वैल्यू एडेड सर्विस (value-added services) प्रदान करते हैं.
इसलिए आइसक्रीम पार्लर पर ज्यादा टैक्स मुकदमेबाजी का कारण बन सकता है. यह विभिन्न आधारों पर संवैधानिक वैधता (constitutional validity) का सवाल उठाता है.
हालांकि डेलॉयट इंडिया के पार्टनर एम एस मणि का नजरिया कुछ और है. उन्होंने, कहा आइसक्रीम पार्लर, रेस्तरां के विपरीत, निर्मित वस्तुओं (manufactured items) को बेचते हैं.
इसके अलावा, आइसक्रीम आवश्यक वस्तु (essential item) नहीं है. इसलिए आइसक्रीम पार्लर पर 18% GST लगाया जा सकता है.
बिना एयर कंडीशनर, सेंट्रल हीटिंग और शराब लाइसेंस वाले रेस्तरां पर पहले 12 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगता था और इन सुविधाओं वाले रेस्तरां पर 18 प्रतिशत कर लगता था.
हालांकि, परिषद ने नवंबर 2017 में अपनी बैठक में इसे घटाकर पांच प्रतिशत करने और इनपुट टैक्स क्रेडिट को भी हटाने का फैसला किया था.
परिषद ने अपनी लखनऊ बैठक में यह भी स्पष्ट किया कि खनिज अन्वेषण के अधिकारों के लिए राज्य सरकारों को दी जाने वाली रॉयल्टी पर 1 जुलाई, 2017 से 18 प्रतिशत जीएसटी लगेगा.
रस्तोगी ने कहा कि खनन अधिकारों की टैक्सेबिलिटी के संबंध में स्पष्टीकरण न्यायिक जांच और संवैधानिकता के परीक्षण के अधीन होगा क्योंकि खनन कंपनियों की सरकार को भुगतान की गई राशि वैधानिक भुगतान है.
पर्सनल फाइनेंस पर ताजा अपडेट के लिए Money9 App डाउनलोड करें।