GST On Food Delivery App: फूड डिलीवरी सर्विसेज महंगी होने की संभावना है. जीएसटी काउंसिल स्विगी और ज़ोमैटो जैसे फूड डिलीवरी ऐप को रेस्तरां सर्विस की तरह मानने के प्रस्ताव पर चर्चा करेगी. क्लाउड किचन को भी इसके दायरे में शामिल किया जा सकता है और इस पर 5% जीएसटी लगाया जा सकता है. फिटमेंट कमेटी ने इसे लेकर सुझाव दिए हैं. इस कमेटी में विभिन्न राज्यों के अधिकारी शामिल होते हैं.
नए प्रस्ताव पर 17 सितंबर को लखनऊ में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में होने वाली 45वीं जीएसटी काउंसिल की बैठक में चर्चा होने की संभावना है और यह परिषद की मंजूरी के अधीन होगी. वर्तमान में, जीएसटी का भुगतान रेस्तरां की ओर से किया जाता है. नया परिवर्तन 1 जनवरी, 2022 से प्रभावी हो सकता है, ताकि ई कॉमर्स ऑपरेटर्स को अपने सॉफ्टवेयर आदि में बदलाव करने का समय मिल सके.’
हालांकि 7,500 रुपये प्रति दिन और उससे अधिक के टैरिफ वाले होटलों के रेस्तरां को इससे बाहर रखा जा सकता है.
ऐसे में अगर कमेटी की सिफारिशों को स्वीकार किया जाता है, तो फूड डिलीवरी ऐप्स पर भी रेस्तरां के समान जीएसटी लगेगा. इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक कमेटी ने दो विकल्प प्रस्तावित किए हैं.
-पहले में ऐप बेस्ड ई कॉमर्स ऑपरेटर्स (ECOs) को दो कैटेगरी के तहत ‘डीम्ड सप्लायर्स’ के रूप में नोटिफाई करना शामिल है.
-दूसरा प्रस्ताव ECOs को एग्रीगेटर के रूप में नोटिफाई करना और बाद में रेट तय करने का है. इस कदम के साथ, ECOs को रेस्तरां सर्विस के लिए की जाने वाली सभी सप्लाई पर जीएसटी का भुगतान करना होगा.
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