GPS Based Toll Collection: अगले एक साल के भीतर देश के सभी टोल (Toll) बूथ हट जाएंगे और इनकी जगह पर पूरा तरह से जीपीएस (GPS) आधारित टोल कलेक्शन की प्रणाली लागू कर दी जाएगी. सरकार इसकी तेजी से तैयारी कर रही है. सरकार के मुताबिक अभी 93 फीसदी गाड़ियां फास्टैैग (Fastag) के इस्तेमाल से टोल का भुगतान कर रही हैं, लेकिन बकाया 7 फीसदी गाड़ियों ने अभी भी फास्टैग नहीं लिए हैं और इन्हें दोगुने टोल का भुगतान करना पड़ता है.
बीते महीने लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान गडकरी ने कहा, “मैं सदन को यह भरोसा दिलाना चाहता हूं कि एक साल के भीतर देश के सभी फिजिकल टोल बूथ हटा दिए जाएंगे. इसका मतलब है कि टोल (Toll) कलेक्शन जीपीएस (GPS) के जरिए होगा. इस पैसे को गाड़ियों की जीपीएस इमेजिंग के जरिए इकट्ठा किया जाएगा.”
गडकरी ने कहा कि उन्होंने ऐसी गाड़ियों की जानकारी पुलिस से मांगी है जो कि टोल का भुगतान करने में फास्टैग का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं. इसके अलावा, अगर गाड़ियों में फास्टैग नहीं होता है तो टोल की चोरी के मामले और जीएसटी से बचने की कोशिशें भी नजर आती हैं.
फास्टैग के जरिए टोल प्लाजा (Toll Plaza) पर इलेक्ट्रॉनिक तरीके से भुगतान होता है. फास्टैग प्रणाली को 2016 में पेश किया गया था.
16 फरवरी से बिना फास्टैग के चलने वाली गाड़ियों को देशभर के टोल प्लाजा पर दोगुना टोल देने की बाध्यता कर दी गई है.
टैग्स को अनिवार्य बनाने से टोल प्लाजा पर गाड़ियां बिना लंबी कतार में फंसे आसानी से निकल जाती हैं. ऐसा इस वजह से होता है क्योंकि गाड़ियों को रुककर कैश या कार्ड से पेमेंट नहीं करना होता है और टोल का पैसा अपने आप इलेक्ट्रॉनिक तरीके से कट जाता है. गडकरी ने कहा कि नई गाड़ियों में फास्टैग लगा हुआ आता है. जबकि सरकार पुरानी गाड़ियों को मुफ्त में फास्टैग दे रही है.