भारत सरकार ने 109 प्रमुख मार्गों पर 30,000 करोड़ रुपये के अनुमानित टेंडर के साथ 151 प्राइवेट ट्रेनों के संचालन के लिए दिए जाने वाले टेंडर को फिलहाल रोकने का फैसला किया है. एक सरकारी अधिकारी के मुताबिक, किसी भी प्राइवेट फर्मों को टेंडर देने से पहले रेल मंत्रालय फर्मों का मूल्यांकन करना चाहती है. मंत्रालय के मुताबिक सभी निजी ट्रेनों के लिए टेंडर रोक दिए गए हैं. निजी फर्मों की कम भागीदारी के कारण अब पूरी प्रक्रिया का पुनर्मूल्यांकन किया जाएगा उसके बाद नया टेंडर जारी किया जाएगा.
प्राइवेट टेंडर को लेकर नहीं मिला अच्छा रिस्पॉन्स
तेजस एक्सप्रेस जैसी प्राइवेट ट्रेनों को लेकर रेलवे में प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी बढ़ाने के लिए सरकार की यह एक खास योजना है. रेलवे को इस स्कीम से 30,000 करोड़ रुपये से ज्यादा इन्वेस्टमेंट के की उम्मीद है. पिछले साल रेल मंत्रालय ने देश के 109 रूट्स पर 151 मॉडर्न ट्रेन को लेकर प्राइवेट कंपनियों से आवेदन मांगा था. लेकिन, भारत सरकार इस टेंडर में केवल 2 ही प्राइवेट कंपनियों – मेदा इंजीनियरिंग और IRCTC ने ही दिलचस्पी दिखाई. जानकार टेंडर रद्द होने की इसे एक प्रमुख वजह मान रहे हैं.
रेलवे को बड़े निवेश की उम्मीद
सरकार को इस योजना से 30 हजार करोड़ के निवेश की उम्मीद है. सरकार चाहती है कि ज्यादा से ज्यादा प्राइवेट फर्म्स बोली प्रक्रिया में हिस्सा लें. जिन प्राइवेट फर्मों को टेंडर दिया जाएगा वो ट्रेनों के वित्तपोषण, खरीद, और उसके संचालन को लेकर सम्पूर्ण मैनेजमेंट के लिए जिम्मेदार होंगी.
भारत की पहली निजी ट्रेन का संचालन भारतीय रेलवे खानपान और पर्यटन निगम (IRCTC) ने शुरू किया था. सरकार ने शुरू में पहले 12 ट्रेनों के साथ प्राइवेट ट्रेन संचालन शुरू करने की योजना बनाई है. सरकारी सूत्रों के मुताबिक इस स्कीम को मार्च 2023 तक शुरू करने की उम्मीद है.
पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) योजना के तहत भारत सरकार की योजना विश्व स्तरीय ट्रेनें चलाने की है. पिछले महीने संसद में एक सवाल के जवाब में, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया था कि मौजूदा यात्री ट्रेन सेवाएं पीपीपी ट्रेन सेवाओं के संचालन से प्रभावित नहीं होंगी.
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