लंबे समय से रियल एस्टेट (real estate) मार्केट में मंदी छाई हुई है. पहले जिन लोगों को बजट की कमी का सामना करना पड़ता था आज महामारी के कारण उनके बीच बड़े घर की डिमांड (demand) बढ़ गई है. जिसका एक बड़ा कारण ज्यादा बचत, कम होम लोन (home loan|) की दरों के साथ ही घरों की कीमत में हो रहे सुधार भी है. इन्हीं कारणों से लोगों का रुझान बड़े घर या फिर प्रॉपर्टी (property) खरीदने की ओर दिखने लगा है. PropEquity की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि टॉप सात शहरों में इन्वेंट्री लेवल, एक दशक के निचले स्तर पर पहुंच गया है, जो मांग बढ़ने का इशारा कर रहा है.
चूंकि वर्क फ्रॉम होम (WFH) कई सेक्टर (sectors) के लिए सामान्य हो चुका है. ऐसे में घर की डिमांड (demand) भी तेजी से बढ़ रही. वहीं देश के कुछ रियल एस्टेट (real estate) मार्केट की कीमत में हो रहे सुधार के कारण यह खुद के व्यवसाय के लिए प्रॉपर्टी (property) खरीदने का सबसे अच्छा समय है. अनुमान के मुताबिक, कुछ शहरों के रियल एस्टेट (real estate) मार्केट की कीमतों में 30% तक की कमी आई है, जिससे लोगों को रेडी-टू-मूव और बन रहे मकानों का ऑप्शन मिल रहा है.
महामारी के कारण लोगों के खर्चों में काफी कमी आई है. लोगों की घरेलू बचत बढ़ी है जिसे वह रियल एस्टेट (real estate) और शेयर मार्केट में लगाने के लिए तैयार हैं. एक डेटा से पता चलता है कि निफ्टी रियल्टी इंडेक्स (Nifty Realty index) ने इस साल की शुरुआत से 26% की छलांग लगाने के साथ ही निफ्टी 50 इंडेक्स (Nifty50 index) को पहले ही पछाड़ दिया है. इसी दौरान निफ्टी 50 (Nifty50|) में 15% का उछाल आया था. रियल्टी शेयरों ने 100% से अधिक रिटर्न दिया है, जो रियल्टी सेक्टर की दबी हुई डिमांड (demand) को बताता है.
खरीददार एक बार फिर से रियल एस्टेट (real estate) मार्केट की ओर रुख कर रहे हैं. बिल्डर्स (builders) को चाहिए कि वह घर की क्वालिटी से समझौता किए बिना ग्राहकों को समय पर घर सौंप दें. इसके साथ ही पिछले कुछ सालों की तरह वह डिमांड और स्पलाई के बीच गड़बड़ ना होने दें.