अर्थशास्त्रियों ने चालू वित्त वर्ष (2023-24) की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में जीडीपी वृद्धि दर 6.7-7 % रहने का अनुमान लगाया है. उनका कहना है कि सेवाओं में आई तेजी, सरकार के नेतृत्व में मजबूत पूंजीगत व्यय और खपत आधारित क्षेत्रों में तेजी की वजह से जीडीपी वृद्धि दर इतनी रह सकती है. हालांकि इससे पिछली तिमाही (अप्रैल-जून) की 7.8% की वृद्धि दर की तुलना में ये आंकड़ा नीचे रहेगा, 6.7-7 % की ये वृद्धि दर विदेशी मांग, घरेलू खपत आदि को लेकर बनी चिंताओं के बीच हासिल किया जाना मायने रखता है.
कब जारी किए जाएंगे आंकड़े?
जुलाई-सितंबर तिमाही की जीडीपी वृद्धि दर का आकड़ा 30 नवंबर को जारी किया जाएगा, बहुत सारे अर्थशास्त्रियों का मानना है कि जीडीपी वृद्धि दर 7% के आसपास रह सकती है. हालांकि पूरे वित्त वर्ष (2023-24) के लिए ये वृद्धि दर 6.2-6.7% ही रहने का अनुमान लगाया जा रहा है.
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया रिसर्च के मुताबिक जुलाई-सितंबर तिमाही में घरेलू आर्थिक गतिविधि में कृषि क्षेत्र के मजबूत प्रदर्शन, सेवाओं में आई तेजी और केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा ज्यादा पूंजीगत व्यय और खपत से जुड़े व्यय में आई मजबूती से मदद मिलेगी.
रिजर्व बैंक का अनुमान और अन्य
सरकार और रिजर्व बैंक दोनों ने 2023-24 में जीडीपी वृद्धि दर 6.5% रहने का अनुमान लगाया है. वहीं रिजर्व बैंक के मुताबिक जुलाई-सितंबर तिमाही में ये 6.5% और चालू अक्टूबर-दिसंबर तिमाही 6% रहने का अनुमान है.
वहीं रेटिंग एजेंसी ICRA ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था में 7% की बढ़ोतरी होने का अनुमान है, वित्त वर्ष 2023-24 में 6% वृद्धि का अनुमान है.
ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज ने 2023-24 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.7% रहने का अनुमान लगाया है. एजेंसी का कहना है कि वैश्विक सुस्ती के बीच मजबूत घरेलू मांग की वजह से ये जीडीपी वृद्धि दर हासिल होगी.