भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) ने वित्त वर्ष 2023-24 की पहली छमाही में हासिल की गई वृद्धि की रफ्तार को बरकरार रखा है और कॉरपोरेट क्षेत्र द्वारा पूंजीगत व्यय के नए दौर से वृद्धि के अगले चरण को गति मिलने की उम्मीद है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के बुलेटिन में मंगलवार को यह बात कही गई. बुलेटिन में ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति’ पर एक लेख में कहा गया है कि हाल के महीनों में यह धारणा मजबूत हुई है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था 2024 में उम्मीद से अधिक मजबूत वृद्धि हासिल करेगी और जोखिमों को व्यापक रूप से संतुलित किया गया है.
रिजर्व बैंक के लेख के मुताबिक, उच्च आवृत्ति संकेतकों के आधार पर कहा जा सकता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने 2023-24 की पहली छमाही में हासिल की गई गति को बरकरार रखा है. आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्रा के नेतृत्व वाली एक टीम द्वारा लिखे गए लेख में कहा गया है कि कॉरपोरेट क्षेत्र द्वारा पूंजीगत व्यय के नए दौर की उम्मीद से वृद्धि के अगले चरण को बढ़ावा मिलने की संभावना है. जिन परियोजनाओं के लिए बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने ऋण स्वीकृत किए हैं, उनकी कुल लागत अप्रैल-दिसंबर, 2023 के दौरान 2.4 लाख करोड़ रुपये थी. यह राशि पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 23 प्रतिशत अधिक है.
वित्त वर्ष 2024-25 में मुद्रास्फीति 4.5 फीसद रहने का अनुमान
कुल मिलाकर इस साल अब तक निजी कॉरपोरेट क्षेत्र के निवेश इरादे सकारात्मक रहे हैं. केंद्रीय बैंक ने 2024-25 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर सात प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है. लेख में कहा गया कि स्थिर और चार प्रतिशत की मुद्रास्फीति जीडीपी वृद्धि की गति को बनाए रखने के लिए आधार तैयार करती है. आरबीआई ने 2024-25 के दौरान उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है. लेख में कहा गया है कि इसमें व्यक्त विचार लेखकों के हैं और ये भारतीय रिजर्व बैंक के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं.