फिच रेटिंग्स ने मंगलवार को कहा कि भारत सरकार द्वारा प्राकृतिक गैस की कीमतों में 62 प्रतिशत की वृद्धि से देश में तेल एवं प्राकृतिक गैस कंपनियों की लाभप्रदता बढ़ेगी और उनके निवेश संबंधी खर्च में मदद मिलेगी.
नेचुरल गैस के दाम में 62 फीसदी की बढ़ोतरी
सरकार ने अक्टूबर-मार्च छमाही (अक्टूबर 2021 से मार्च 2022) के लिए नैचुरल गैस की कीमत बढ़कर अब 2.90 डॉलर एमएमबीटीयू ( mmbtu- मिट्रिक मिलियन ब्रिटिशन थर्मल यूनिट) हो गई है. अप्रैल-सितंबर 2021 छमाही के लिए यह कीमत 1.79 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू थी. पेट्रोलियम मंत्रालय के पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनलासिस सेल के अनुसार ओएनजीसी ( ONGC) और इंडियन ऑयल (Indian Oil) को दिए गए ऑयल फील्ड से पैदा गैस के लिए 2.90 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू की दर दी जा रही है. यह दर 1 अप्रैल 2021 से मान्य होगी.
फिच ने कहा, ” गैस की उच्च कीमतें अंततः उपभोक्ता क्षेत्रों के इनपुट लागत में वृद्धि करेंगी.
घरेलू स्तर पर उत्पादित गैस की आपूर्ति कुछ क्षेत्रों को प्राथमिकता के आधार पर की जाती है, जिसमें से वित्त वर्ष 2020-21 में 30 प्रतिशत का बिजली उत्पादकों ने उपभोग किया. लगभग 27 प्रतिशत उर्वरक क्षेत्र ने और 19 प्रतिशत शहरी गैस वितरण कंपनियों ने उपभोग किया. रेटिंग एजेंसी फिच ने कहा कि गैस की कीमतों में वृद्धि के साथ कार्यशील पूंजी की जरूरतें बढ़ने से उर्वरक क्षेत्र का मुनाफा प्रभावित होगा.
गैस की कीमतों में वृद्धि के बावजूद वाहन गैस ईंधन की कीमत तरल ईंधन के मुकाबले प्रतिस्पर्धी बनी रहेगी, भले ही अंतर कम हो. ऐसा इसलिए है क्योंकि कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि को देखते हुए हाल के महीनों में तरल वाहन ईंधन की कीमतें भी बढ़ रही हैं.
गैस आधारित विद्युत संयंत्रों द्वारा उत्पादित बिजली की लागत में वृद्धि होगी, जिससे उनका इस्तेमाल और कम होगा.
रेटिंग एजेंसी ने एक बयान में कहा, “ओएनजीसी और ओआईएल की रेटिंग और स्टैंडअलोन क्रेडिट प्रोफाइल (एससीपी) अपरिवर्तित रहते हैं क्योंकि कीमतों में वृद्धि काफी हद तक फिच की उम्मीदों के अनुरूप थी, जो जुलाई 2020-जून 2021 में वैश्विक कीमतों में वृद्धि से प्रेरित थी.”