अगस्त के पहले पखवाड़े में भारत की ईंधन की खपत में गिरावट दर्ज की गई. इस दौरान मानसून ने गतिशीलता को भी प्रभावित किया, जिससे ईंधन की खपत में गिरावट देखने को मिली है. शुरुआती आंकड़ों से पता चलता है कि वार्षिक वृद्धि (annual growth) फिलहाल बरकरार है. लेकिन पिछले महीने की तुलना में वृद्धि की गति थोड़ी धीमी है.
आर्थिक विकास का एक प्रमुख संकेतक मानी जाने वाली डीजल की खपत में अगस्त के पहले पखवाड़े में 15 फीसद से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है. यह गिरावट 2019 की इसी अवधि की तुलना में लगभग 8 फीसद कम है. एक महीने पहले इसी पखवाड़े के दौरान पेट्रोल की बिक्री में लगभग 5 फीसद की गिरावट आई थी, जो इस साल मई के बाद से खपत में पहली मासिक गिरावट है.
ईंधन की खपत में गिरावट इकोनॉमी के लिए खराब संकेत
डीजल की बिक्री में तेज गिरावट आर्थिक गतिविधियों और गतिशीलता में कमजोरी को रेखांकित करती है. यह देश की कुल ईंधन खपत का लगभग 40 फीसदी हिस्सा है. पिछले एक महीने से देश के कई हिस्सों में बाढ़ आई हुई थी, जिसकी वजह से सड़क यातायात और कृषि पर फर्क पड़ा था. जानकार ईंधन की खपत में गिरावट की इसे भी एक बड़ी वजह मान रहे हैं. फ्यूल इंडस्ट्री से जुड़े एक्सपर्ट इस गिरावट को लेकर फिक्रमंद हैं.
फ्यूल इंडस्ट्री में जल्द सुधार की उम्मीद
भारत के सबसे बड़े रिफाइनर और ईंधन रिटेलर इंडियन ऑयल के अध्यक्ष श्रीकांत माधव वैद्य ने बताया कि हालात जल्द ही बेहतर हो जाएंगे. माधव के मुताबिक, अगली तिमाही में मोटर ईंधन की बिक्री पूर्व-कोविड स्तर पर होने की उम्मीद है. पेट्रोल और डीजल की खपत में भी जल्द बढ़ोतरी के आसार दिख रहे हैं. उम्मीद है कि दीपावली तक हालात बेहतर हो जाएंगे.
अगस्त पखवाड़े में जेट ईंधन की बिक्री उड़ानों की संख्या बढ़ने से जुलाई की तुलना में 25 फीसद अधिक रही. हालांकि, 2019 की समान अवधि की तुलना में यह अभी भी 45 फीसद कम है. LPG की बिक्री पिछले महीने और 2019 की समान अवधि की तुलना में 2 फीसद कम है.
पिछले महीने, पेट्रोल की खपत 17 महीनों में पहली बार प्री-वायरस स्तर पर सबसे ऊपर रही. वहीं, डीजल की बिक्री महामारी वर्ष से सिर्फ 11 फीसद कम रही. जुलाई के बाजार के आंकड़ों से पता चलता है कि राज्य द्वारा संचालित ईंधन खुदरा विक्रेताओं (state-run fuel retailers), जो 90 फीसद बाजार को नियंत्रित करते हैं, ने 2019 की समान अवधि की तुलना में 3.5 फीसद अधिक पेट्रोल बेचा है.
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