माल ढुलाई की दरें उच्च स्तर से कम हो गईं हैं और कंटेनर की उपलब्धता में सुधार हुआ है यानी देश में अब पहले जैसी कंटेनर की समस्या नहीं रही है. इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के अनुसार भारतीय उद्योग के कुछ सूत्रों ने यह जानकारी है. सूत्रों के अनुसार भारत के परिधान और कृषि वस्तुओं के आयातकों और उपभोक्ता (Consumers) इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए कंटेनर उपलब्धता में काफी सुधार हुआ है, लेकिन लागत मूल्य में वृद्धि के चलते आने वाले महीनों में कीमतों में वृद्धि की उम्मीद की जा रही है.
टेलीविजन, स्मार्टफोन, रेफ्रिजरेटर और एयर-कंडीशनर की कीमतों में अगले महीने तक 5-6% की वृद्धि होने की संभावना है. लागत मूल्य में 10-12% की वृद्धि के कारण जनवरी-फरवरी में कीमतों में इससे भी ज्यादा बढ़ोतरी होने की उम्मीद है. परिधान निर्यातक उच्च लागत को आगे बढ़ाने के लिए बड़े ब्रांडों के साथ दरों को लेकर फिर से बातचीत कर रहे हैं. भारत में खराब मौसम के कारण उत्पादन और आपूर्ति प्रभावित हुई है इस कारण फसल के नुकसान के बीच बासमती चावल जैसी कृषि वस्तुओं की कीमतें पहले ही बढ़ चुकी हैं.
यार्न की बढ़ती कीमतें परिधान उद्योग को कर रहीं परेशान
सूत्रों ने कहा कि निर्यातकों को कीमतों में कमी और कंटेनर उपलब्धता में सुधार की उम्मीद है, जिससे भारत के निर्यात को और बढ़ावा मिलेगा, जो इससे पहले भी अक्टूबर में 43% बढ़कर 35.65 अरब डॉलर हो गया. नोएडा अपैरल एक्सपोर्ट क्लस्टर के प्रेसिडेंट ललित ठुकराल ने कहा, अब जब कोविड का संक्रमण कुछ हद तक नियंत्रण में है और दुनिया भर में टीकाकरण शुरू हो गया है, तो ज़ारा, मैंगो और अन्य बड़े ब्रांडों सहित विदेशी परिधान खरीदारों ने कीमतें तय करते समय माल ढुलाई लागत को ध्यान में रखने पर सहमति जताई है.
हालांकि यार्न की बढ़ती कीमतें परिधान उद्योग को परेशान कर रही है. उन्होंने कहा, पिछले एक साल में यह 60% से अधिक बढ़ गया है. हमें अपने उत्पादों की कीमतें बढ़ानी हैं, लेकिन हमें यकीन नहीं है कि खरीदार इसे स्वीकार करेंगे या नहीं.