चालू वित्त वर्ष में जनवरी के अंत तक सरकार का राजकोषीय घाटा 11 लाख करोड़ रुपये के साथ संशोधित वार्षिक लक्ष्य के 63.6 प्रतिशत पर पहुंच गया है. बृहस्पतिवार को जारी सरकारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है. एक साल पहले की समान अवधि में सरकारी व्यय और राजस्व के बीच का अंतर यानी राजकोषीय घाटा केंद्रीय बजट 2022-23 के संशोधित अनुमान (आरई) का 67.8 प्रतिशत था. मौजूदा वित्त वर्ष 2023-24 में सरकार का राजकोषीय घाटा 17.35 लाख करोड़ रुपये यानी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 5.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है.
लेखा महानियंत्रक (सीजीए) की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में जनवरी तक सरकार की कुल प्राप्तियां 22.52 लाख करोड़ रुपये रहीं, जो समूचे वित्त वर्ष के संशोधित अनुमान का 81.7 प्रतिशत है. कुल प्राप्तियों में 18.8 लाख करोड़ रुपये कर राजस्व (शुद्ध), 3.38 लाख करोड़ रुपये गैर-कर राजस्व और 34,219 करोड़ रुपये गैर-ऋण पूंजीगत प्राप्तियों के रूप में थीं. गैर-ऋण पूंजीगत प्राप्तियों में कर्ज वसूली और विविध पूंजी प्राप्तियां शामिल होती हैं. इस दौरान केंद्र सरकार का कुल व्यय 33.54 लाख करोड़ रुपये (संशोधित अनुमान का 74.7 प्रतिशत) रहा जिसमें से 26.33 लाख करोड़ रुपये राजस्व खाते और 7.2 लाख करोड़ रुपये पूंजी खाते का हिस्सा हैं.
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी तक केंद्र सरकार ने करों के हिस्से के रूप में राज्य सरकारों को 8,20,250 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए हैं, जो पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 1,52,480 करोड़ रुपये अधिक है. कुल राजस्व व्यय में से 8,21,731 करोड़ रुपये ब्याज भुगतान और 3,15,559 करोड़ रुपये प्रमुख सब्सिडी के मद में रहे. रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने इन आंकड़ों पर कहा कि विनिवेश लक्ष्य में कुछ कमी रहने और पूंजीगत व्यय के समूचे वित्त वर्ष के संशोधित अनुमान से पीछे रहने की आशंका के बावजूद हमें नहीं लगता है कि 17.3 लाख करोड़ रुपये के संशोधित राजकोषीय घाटे के लक्ष्य से पीछे रह जाएंगे.