पहली और सबसे बड़ी गलती लोगों की बनाए गए बजट को फॉलो न करने की होती है. अक्सर लोग महीने की शुरुआत में ही अपना बजट तैयार कर लेते हैं, लेकिन उसको पूरी तरह से फॉलो नहीं कर पाते हैं.
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने शुक्रवार को कहा कि उसे उम्मीद है कि देश में राज्यों का राजकोषीय घाटा (फिस्कल डेफिसिट) कम होकर चालू वित्त वर्ष (2021-22) में 4.1 फीसदी पर रह सकता है. इससे पहले इसके 4.3% रहने का अनुमान जताया गया था.
वित्त वर्ष 2021-22 में राजकोषीय घाटे (फिस्कल डेफिसिट) के अपने पूर्वानुमान में मामूली कमी के साथ ही रेटिंग एजेंसी को उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष में कुल ऋण-जीडीपी अनुपात 34 फीसदी के पिछले अनुमान के मुकाबले कम होकर 32.4 फीसदी रह सकता है.
रेटिंग एजेंसी ने एक रिपोर्ट में कहा, ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि भारत में राज्यों का कुल राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के मुकाबले घटकर 4.1% रह जाएगा.’’
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि आर्थिक सुधार और टीकाकरण में तेजी के कारण राज्य सरकारों की राजस्व प्राप्तियों में सुधार की उम्मीद है.
एजेंसी ने कहा कि इससे राज्यों में व्यापार तथा वाणिज्यिक गतिविधियों पर प्रतिबंधों में और ढील मिलेगी.
इंडिया रेटिंग्स ने कहा, ‘‘अब हम उम्मीद करते हैं कि राज्यों का कुल राजस्व घाटा वित्त वर्ष 2021-22 में सकल घरेलू उत्पाद का 1.3% रहेगा, जबकि पहले इसके 1.5% रहने का अनुमान जताया गया था.’’
एजेंसी ने 14 राज्यों के पहली तिमाही के आंकड़ों के विश्लेषण में पाया कि इस दौरान राज्यों की कुल राजस्व प्राप्तियां 30.8% बढ़कर 3.95 लाख करोड़ रुपये हो गईं. हालांकि, उसका कहना है कि यह वृद्धि पिछले वर्ष के निम्न तुलनात्मक आधार के ऊपर हासिल की गई है.
एजेंसी ने इससे आगे कहा कि 14 राज्यों की खुद की कर प्राप्ति और गैर- कर राजस्व प्राप्ति चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सालाना आधार पर क्रमश: 77% और 46% ग्रोथ रही है. इससे संकेत मिलता है कि इन राज्यों का राजस्व संग्रह कोविड की दूसरी लहर के बीच भी मजबूत रहा है.