वित्त मंत्रालय के अधिकारियों और रेटिंग एजेंसी मूडीज के प्रतिनिधियों ने मंगलवार को आर्थिक वृद्धि की संभावनाओं पर चर्चा की. बैठक के दौरान भारतीय अधिकारियों ने मूडीज के समक्ष भारत का सॉवरेन साख परिदृश्य बेहतर करने की वकालत की. सूत्रों के अनुसार, बैठक में मुख्य आर्थिक सलाहकार के वी सुब्रमणियम और आर्थिक मामलों के विभाग के अधिकारी तथा मूडीज के विश्लेषक शामिल हुए. यह बैठक मूडीज की सालाना सरकारी रेटिंग की कार्यवाही की तैयारी के हिस्से के रूप में हुई.
मूडीज इनवेस्टर सर्विस ने पिछले साल भारत की सरकारी साख ‘बीएए2’ से कम कर ‘बीएए3’ कर दी थी. उसने कहा था कि निम्न वृद्धि दर की स्थिति लगातार बने रहने और बिगड़ती राजकोषीय स्थिति के जोखिमों को कम करने के लिए नीतियों के कार्यान्वयन में चुनौतियां होंगी. सरकारी साख पर परिदृश्य नकारात्मक है. बैठक के दौरान वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने जून 2021 को समाप्त तिमाही में तीव्र जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर का जिक्र किया. साथ ही राजकोषीय घाटा और कर्ज के आंकड़े भी साझा किए.
केंद्र का राजकोषीय घाटा अप्रैल -जुलाई, 2021 के दौरान वित्त वर्ष 2021-22 के लिये तय बजटीय अनुमान का 21.3 प्रतिशत रहा. इसका मुख्य कारण गैर-जरूरी खर्चों में कटौती और कर तथा गैर-कर राजस्व संग्रह में वृद्धि है. पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में राजकोषीय घाटा सालाना लक्ष्य का 103 प्रतिशत तक पहुंच गया था. सरकार ने 2021-22 में 12.5 लाख करोड़ रुपये के सकल कर्ज का लक्ष्य रखा है. चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 20.1 प्रतिशत रही.
इकोनॉमी 2020-21 में 7.3% गिरी थी
भारत की इकोनॉमी 2020-21 में 7.3% गिरी थी. इस चालू वित्त वर्ष में हालांकि इकोनॉमी की ग्रोथ का अनुमान 10% से ज्यादा का लगाया गया है. मूडीज और इसकी अन्य समकक्ष एजेंसियां कई देशों के निशाने पर भी रही थीं. इसका कारण यह था कि यह एजेंसियां कुछ देशों की ओर ज्यादा झुकाव रखती थीं. उभरते हुए बाजारों के अच्छे रिकॉर्ड के बावजूद रेटिंग एजेंसियां उनके प्रति निगेटिव धारणा रखती थीं.
स्टैंडर्ड एंड पूअर्स (S&P) ने भारत की रेटिंग स्टेबल से बदलकर BBB- किया था. जबकि फिच ने BBB- ही रखा था. एशियन डेवलपमेंट बैंक ने भारत की इकोनॉमी ग्रोथ का अनुमान इस वित्त वर्ष में 10% रखा है जबकि पहले 11% का अनुमान लगाया था.