वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज अर्थव्यवस्था से जुड़े कुछ बड़े ऐलान कर सकती हैं. वित्त मंत्रालय ने जानकारी दी है कि आज दोपहर 3 बजे निर्मला सीतारमण संबोधन करेंगी. रिपोर्ट्स के मुताबिक अनुमान लागाया जा रहा है कि महामारी के बीच कुछ राहत का ऐलान किया जा सकता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम की सीमा बढ़ाने से लेकर टियर-2 शहरों में हेल्थकेयर इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने पर काम हो सकता है.
सभी सेक्टर्स की ओर से राहत के कदम की डिमांड उठाई गई है. महामारी के बीच अर्थव्यवस्था पर काफी असर पड़ा है. राज्यों के लगाए लॉकडाउन और प्रतिबंधों से कई सेक्टर्स को नुकसान हुआ है. यही वजह है कि कई सेक्टर्स ने राहत पैकेज की मांग तेज की है.
FM Smt. @nsitharaman will address a Press Conference today, 28th June, 2021 at 3PM in New Delhi.
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— Ministry of Finance (@FinMinIndia) June 28, 2021
सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है. इसी मुद्दे पर पर कैबिनेट सचिव की अगुवाई में हाल में एक उच्चस्तरीय बैठक हुई थी, जिसमें विभिन्न नियामकीय और प्रशासनिक मुद्दों पर विचार किया गया. इससे इस प्रस्ताव को विनिवेश पर मंत्री समूह या वैकल्पिक तंत्र (एएम) के पास मंजूरी के लिए रखा जा सकेगा.
सूत्रों ने बताया कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा अपने 2021 के बजट भाषण में इस बारे में घोषणा की गई थी, जिसके बाद नीति आयोग ने अप्रैल में कैबिनेट सचिव की अगुवाई में विनिवेश पर सचिवों के समूह को निजीकरण के लिए कुछ बैंकों के नाम सुझाए थे.
सूत्रों ने बताया कि 24 जून बृहस्पतिवार को हुई इस उच्चस्तरीय बैठक में नीति आयोग की सिफारिशों पर विचार किया गया.
सूत्रों ने कहा कि यह समिति इस बारे में सभी तरह की खामियों को दूर करने के बाद बाद छांटे गए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का नाम वैकल्पिक तंत्र को भेजेगी.
कैबिनेट सचिव की अगुवाई वाली समिति में आर्थिक मामलों के विभाग, राजस्व, व्यय, कॉरपोरेट मामलों कऔर विधि मामलों के अलावा प्रशासनिक विभाग के सचिव भी शामिल हैं. समिति में सार्वजनिक उपक्रम विभाग तथा लोक संपत्ति एवं प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव भी शामिल हैं.
सूत्रों ने कहा कि समिति ने निजीकरण की संभावना वाले बैंकों के कर्मचारियों के हितों के संरक्षण से जुड़ मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया.
एएम की मंजूरी के बार इस मामले को प्रधानमंत्री की अगुवाई वाले केंद्रीय मंत्रिमंडल को अंतिम मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. कैबिनेट की मंजूरी के बाद निजीकरण के लिए जरूरी नियामकीय बदलाव किए जाएंगे.
सूत्रों का कहना है कि सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक का निजीकरण हो सकता है.
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