वित्तवर्ष 2021-22 के पहले 4 महीनों के दौरान खाद की बिक्री में 11 फीसदी की गिरावट आने के बावजूद इसमें सुधार आने की संभावना है और इसके पिछले वित्तवर्ष के मुकाबले मामूली ही कम रहने की उम्मीद है. एक रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्तवर्ष 2022 के पहले चार महीनों में उर्वरक बिक्री में साल-दर-साल 11 फीसदी की गिरावट आई थी, जबकि कोविड-19 महामारी के बीच किसानों द्वारा घबराहटपूर्ण खरीद किये जाने के कारण वित्तवर्ष 2021 की पहली छमाही में साल-दर-साल आधार पर 15% की मजबूत वृद्धि हुई थी. इस बड़े आधार प्रभाव को देखते हुए मौजूदा मामूली गिरावट को समझा जा सकता है.
इकरा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और समूह प्रमुख सब्यसाची मजूमदार ने कहा, ‘‘वित्तवर्ष 2021 की दूसरी छमाही में उर्वरक बिक्री मात्रा में गिरावट आई. इसकी वजह किसानों के पहले से मौजूद स्टॉक का ही इस्तेमाल होना था.’’
उन्होंने कहा कि चालू खरीफ सत्र में बुवाई का स्तर थोड़ा कम है और उर्वरक की सघनता भी स्थिर रहने की उम्मीद है.
उन्होंने कहा, ‘‘इसके अलावा, चालू खरीफ सत्र के लिए उर्वरक की उपलब्धता पर्याप्त बनी हुई है और सरकार आगामी रबी सत्र के लिए पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए अनेक प्रयास कर रही है. इस प्रकार, वित्त वर्ष 2022 के लिए कुल उर्वरक बिक्री मात्रा में तेज गिरावट की उम्मीद नहीं है.’’
रिपोर्ट के अनुसार, उत्पादन और आयात, दोनों की मात्रा में समीक्षाधीन अवधि में केवल 6% की गिरावट आई है, जबकि खुदरा बिक्री में 11% की गिरावट आई है, जो उर्वरक कंपनियों के पास उर्वरक भंडार की उपलब्धता को दर्शाता है.
इसमें कहा गया है कि हालांकि, अंतरराष्ट्रीय बाजारों में डाय-अमोनियम फॉस्फेट (DAP) की सीमित उपलब्धता और आयात की कीमतों में तेज वृद्धि के साथ, आगामी रबी सत्र के लिए इसकी उपलब्धता चिंता का विषय होगी, क्योंकि चीन द्वारा उर्वरक निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से स्थिति और खराब हो सकती है.
इकरा के वरिष्ठ विश्लेषक रविश मेहता ने कहा कि चूंकि उर्वरक आयात को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, इसलिए सरकार विशेष रूप से रबी सत्र के लिए उर्वरक उपलब्धता की स्थिति की समीक्षा कर सकती है.