Excise collection: लोगों पर भले तेल की महंगाई भारी पड़ने लगी हो, लेकिन सरकार जरूरत मलाई काटती हुई दिख रही है. आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि पेट्रोलियम उत्पादों पर उत्पाद शुल्क लगाने से सरकार का संग्रह चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में पिछले साल की तुलना में 33 प्रतिशत बढ़ गया है और यह प्री-कोविड लेवल से 79 प्रतिशत अधिक है. केंद्रीय वित्त मंत्रालय में लेखा महानियंत्रक (CGA) से उपलब्ध आंकड़ों में अप्रैल-सितंबर 2021 के दौरान उत्पाद शुल्क संग्रह बढ़कर 1.71 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 1.28 लाख करोड़ रुपये था.
79 प्रतिशत अधिक
सीजीए के आंकड़ों से पता चला कि संग्रह अप्रैल-सितंबर 2019 में 95,930 करोड़ रुपये के संग्रह से 79 प्रतिशत अधिक है.
2020-21 में, उत्पाद शुल्क संग्रह 3.89 लाख करोड़ रुपये था और 2019-20 में यह 2.39 लाख करोड़ रुपये था, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था लागू होने के बाद, उत्पाद शुल्क केवल पेट्रोल, डीजल, एटीएफ और प्राकृतिक गैस पर लगाया जाता है.
इन उत्पादों को छोड़कर, अन्य सभी सामान और सेवाएं जीएसटी शासन के तहत हैं. सीजीए के अनुसार, 2018-19 में 2.3 लाख करोड़ रुपये के उत्पाद संग्रह में से 35,874 करोड़ रुपये राज्यों को दिए गए थे.
पिछले 2017-18 के वित्तीय वर्ष में, 2.58 लाख करोड़ रुपये के संग्रह में से 71,759 करोड़ रुपये राज्यों को दिए गए थे.