Employment Recovery: कोरोना महामारी के बाद एम्प्लॉयमेंट में रिकवरी (Employment Recovery) असमान रही है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) की एक रिपोर्ट में ये जानकारी सामने आई है. CMIE के MD और CEO महेश व्यास ने अपने विश्लेषण में कहा कि अगस्त 2021 में रोजगार 2019-20 की तुलना में 5.7 मिलियन कम था. व्यास ने ये भी कहा कि भले ही वेतनभोगी नौकरियों में रिकवरी दूसरी COVID-19 लहर से प्रभावित नहीं हुई, लेकिन यह बेहद धीमी थी. रिकवरी में वेतनभोगी कर्मचारियों और एंटरप्रेन्योर के बीच काफी अंतर देखने को मिला है.
अप्रैल 2020 में, रोजगार में 30 प्रतिशत की भारी गिरावट आई. कुल मिलाकर, 2019-20 में 403.5 मिलियन नौकरियों में से केवल 282.2 मिलियन ही लॉकडाउन में बच पाईं. हालांकि मई 2020 में, 31.5 मिलियन नौकरियां वापस आ गईं.
जुलाई 2020 तक, नौकरियों का नुकसान घटकर 11.1 मिलियन हो गया. लेकिन, रिकवरी आज तक आंशिक बनी हुई है. अगस्त 2021 में, अप्रैल 2020 के उस कठोर लॉकडाउन के सत्रह महीने बाद, रोजगार 2019-20 की तुलना में कम बना हुआ है. अगस्त 2021 में रोजगार अभी भी 2019-20 की तुलना में 5.7 मिलियन कम 397.8 मिलियन था.
रिकवरी भेदभावपूर्ण (discriminating) रही है. जॉब लॉस वेतनभोगी कर्मचारियों के बीच केंद्रित हैं. अगस्त 2021 में रोजगार 2019-20 की तुलना में 5.7 मिलियन कम 397.8 मिलियन था.
इसमें 8.8 मिलियन वेतनभोगी नौकरियों का नुकसान और एंटरप्रेन्योर को 2 मिलियन रोजगार का नुकसान शामिल है. इन नुकसानों को आंशिक रूप से खेती में रोजगार में 4.7 मिलियन की वृद्धि और दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों और छोटे व्यापारियों के रूप में रोजगार में 0.7 मिलियन की वृद्धि से ऑफसेट किया गया.
ऐसा लगता है कि इस रिकवरी ने वेतन भोगी कर्मचारियों और एंटरप्रेन्योर के साथ भेदभाव किया है.
वेतनभोगी नौकरियों में रिकवरी दूसरी कोविड लहर से प्रभावित नहीं हुई, लेकिन इन नौकरियों में रिकवरी बेहद धीमी दिख रही है. वेतनभोगी नौकरियों में 2019-20 में 86 मिलियन की बढ़त देखी गई थी.
पहली लहर, अप्रैल-जून 2020 के दौरान ये गिरकर 70 मिलियन हो गई. जुलाई 2019-2020 और मार्च 2020 2021 के दौरान यह बढ़कर लगभग 73 मिलियन हो गई. फिर, अप्रैल-जून 2021 की दूसरी लहर के दौरान यह बढ़कर 76 मिलियन हो गई.
जुलाई-अगस्त के दौरान यह 77 मिलियन पर ही पहुंच पाई. दूसरी कोविड लहर में वेतनभोगी नौकरियों में धीमी गति से रिकवरी चिंताजनक है.
ग्रामीण क्षेत्र को इससे ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है. 2019-20 और अगस्त 2021 के बीच गई 5.7 मिलियन नौकरियों में से 3.7 मिलियन शहरी भारत में थीं.
इसमें कहा गया है कि शहरी भारत में सभी नौकरियों का 32 प्रतिशत हिस्सा है, लेकिन महामारी के कारण इसे 65 प्रतिशत नौकरी का नुकसान हुआ है.
ग्रामीण भारत ने बहुत बेहतर किया है, क्योंकि वहां केवल 1.9 मिलियन नौकरियां गई. इसे मुख्य रूप से कृषि क्षेत्र ने बचाया.
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