बीते वित्त वर्ष में डीजल, पेट्रोल के निर्यात से होने आने वाले राजस्व में कमी आई है. मूल्य के लिहाज से डीजल निर्यात में साल-दर-साल 24 फीसद की गिरावट आई है. वहीं मात्रा के लिहाज से इसके निर्यात में मुश्किल से 1 फीसद की कमी आई है. 2023-24 में पेट्रोल निर्यात की मात्रा 2.5 फीसद बढ़ी लेकिन इसका मूल्य 13 फीसद गिरकर 11 अरब डॉलर हो गया.
यह कंपनियां करती हैं निर्यात
वित्त वर्ष 2024 में जेट फ्यूल, नेफ्था, फ्यूल ऑयल और दूसरे प्रोडक्ट्स का ईंधन निर्यात में योगदान शेष 15 अरब डॉलर रहा. देश में निजी क्षेत्र की दो रिफाइनर कंपनियां रिलायंस इंडस्ट्रीज और रोसनेफ्ट से समर्थित नायरा एनर्जी मुख्य रूप से भारत से डीजल और पेट्रोल का निर्यात करती हैं.
2022-23 में बढ़ी थी एक्सपोर्ट से आय
2022 की शुरुआत में यूक्रेन में युद्ध की शुरुआत और रूस पर पश्चिमी प्रतिबंधों ने एनर्जी मार्केट को अस्त-व्यस्त कर दिया है. इससे ईंधन की कीमतें आसमान पर पहुंच गईं हैं. रिफाइनर्स ने 2022-23 में पेट्रोल और डीजल पर रिकॉर्ड-हाई मार्जिन हासिल किया है. इससे भारतीय रिफाइनर्स की एक्सपोर्ट से आय भी बढ़ी.
बाद में सामान्य हो गई कमाई
हालांकि, 2023-24 में बाजार स्थिर होने के बाद कमाई सामान्य हो गई. 2023-24 में पेट्रोल और डीज़ल की अंतर्राष्ट्रीय दरें एक साल पहले की तुलना में औसतन लगभग 15-20 फीसद कम थीं. भारत यूरोप, अफ्रीका और अन्य देशों में डीजल और पेट्रोल का निर्यात करता है.
LPG के लिया किया जाता है सबसे ज्यादा भुगतान
कम कीमतों से भारत को पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स के आयात के लिए कम भुगतान करना पड़ा है. भारत ने LPG के लिए 2023-24 में 10.5 अरब डॉलर का भुगतान किया था. यह एक साल पहले की तुलना में 21 फीसद कम है. भारत खाना पकाने के लिए उपयोग की जाने वाली LPG का 60 फीसद आयात करता है. भारत में जितने भी रिफाइन्ड प्रोडक्ट्स के आयात किए जाते हैं, उसके लिए भुगतान की जाने वाली राशि में LPG की हिस्सेदारी लगभग 45 फीसद है.
रिफाइन्ड प्रोडक्ट्स के आयात की कीमत 2023-24 में सालाना आधार पर 13 फीसद कम होकर 23 अरब डॉलर हो गई है.
बढ़ रही है खपत
भारत में तेल की खपत तेजी से बढ़ रही है. 2023-24 में पेट्रोल की खपत 6.4 फीसद बढ़ी जबकि डीजल की खपत 4.4 फीसद बढ़ी. LPG की बिक्री भी 4 फीसद बढ़ी. बढ़ती अर्थव्यवस्था, वाहनों की बढ़ती बिक्री और ईंधन तक बढ़ती पहुंच की वजह से देश में ईंधन की मांग बढ़ रही है.