हर जिम्मेदार नागरिक को आयकर रिटर्न (income tax return) दाखिल करना चाहिए. भविष्य में होने वाली समस्याओं से बचने के लिए सही-सही ITR फाइल करना जरूरी है. कोविड -19 की दूसरी लहर और अलग-अलग राज्यों में प्रतिबंधों के बीच, सरकार ने आकलन वर्ष 2021-22 के लिए ITR दाखिल करने की नियत तारीख को बढ़ा दिया है. अब व्यक्तिगत करदाताओं के लिए आयकर रिटर्न (income tax return) दाखिल करने की अंतिम तारीख 30 सितंबर 2021 है, पहले यह तारीख 31 जुलाई 2021 थी. फिर भी अगर आप इस समय सीमा के भीतर ITR फाइल नहीं कर पाते हैं तो घबराने की बात नहीं है. आप 5000 रुपए विलंब शुल्क का भुगतान करके अपना ITR फाइल कर सकते हैं.
चार्टर्ड एकाउंटेंट सुमन नंदी का कहना है, “ITR दाखिल करने के दौरान, कई बार सामान्य करदाता आयकर कानून के उन वर्गों की अनदेखी कर देते हैं जो कर छूट की अनुमति देते हैं. इसकी वजह से वे पैसे बचाने के मौके से चूक जाते हैं. यह ध्यान में रखने वाली सबसे जरूरी बातों में से एक है.” यहां उन सामान्य गलतियों के बारे में बताया गया है, जिनका ध्यान टैक्स रिटर्न दाखिल करते समय रखना चाहिए.
गलत फॉर्म का चयन परेशानी पैदा करता है. आयकर वकील मानस घोष के अनुसार, गलत फॉर्म का उपयोग करते हुए आयकर रिटर्न दाखिल करना कर कानूनों के तहत सही नहीं है. इस स्थिति में, IT विभाग संबंधित करदाता को एक नोटिस जारी कर सकता है.
पिछले कुछ वर्षों में आयकर विभाग ने रिटर्न फाइल करने की प्रक्रिया को सरल बनाया है. लेकिन इसके बावजूद हर साल नाम, बैंक अकाउंट नंबर, IFSC कोड और पता जैसी सामान्य व्यक्तिगत जानकारियां गलत भरने की वजह से बड़ी संख्या में रिटर्न खारिज कर दिए जाते हैं. इससे रिफंड में देरी होती है. इसलिए ITR फाइल करते समय सावधानी बरतनी चाहिए.
भारत में 1 अप्रैल से 31 मार्च तक की अवधि को वित्तीय वर्ष के रूप में जाना जाता है. आकलन वर्ष वह वर्ष होता है जो वित्तीय वर्ष के बाद आता है. कई करदाता ‘आकलन वर्ष’ और ‘वित्तीय वर्ष’ को समझने में गलती कर बैठते हैं. उदाहरण के लिए, अभी वित्त वर्ष 2020-21 के लिए ITR फाइल किया जाएगा, जो कि आकलन वर्ष 2021-22 है.
आय के प्राथमिक स्रोत के अलावा किसी अन्य स्रोत से होने वाली आय, चाहे वह कर योग्य हो या ना हो, का खुलासा किया जाना चाहिए. किसी भी तरह की गलती करदाता को आयकर विभाग से मिलने वाली नोटिस का कारण बन सकती है. घोष ने कहा, “कई बार हम देखते हैं कि ग्राहक अपने सभी टर्नओवर विवरणों की जानकारी देना भूल जाते हैं. यह एक आम बात है. इस तरह की गलती से बचना चाहिए.”
फॉर्म 26AS टैक्सपेयर्स के लिए इनकम टैक्स पासबुक की तरह है. इसमें स्रोत पर कर कटौती (TDS) और स्रोत पर कर संग्रह (TCS) का ब्यौरा होता है. इस फॉर्म में संपत्ति और शेयर लेनदेन की सूचना को भी शामिल किया गया है. फॉर्म 26AS में आपके द्वारा सरकार को दिए गए कर के बारे में जानकारी होती है. मानस घोष ने कहा, “इसलिए हर करदाता के लिए ITR दाखिल करने से पहले फॉर्म 26AS की जांच करना काफी महत्वपूर्ण है.”
पर्सनल फाइनेंस पर ताजा अपडेट के लिए Money9 App डाउनलोड करें।