Currency: सरकार कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न आर्थिक संकट से निपटने के लिए और अधिक मुद्रा (Currency) छापने की योजना नहीं है. फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण ने संसद में किया साफ, आर्थिक संकट से निपटने के लिए ज्यादा करेंसी नहीं छापेगा केंद्र. दरअसल, कोरोना संकट के बीच देश की डांवाडोल अर्थव्यवस्था को मजबूती देने और लोगों की नौकरियों को बचाने के लिए कई अर्थशास्त्रियों ने सरकार को ज्यादा करेंसी नोट छापने की सलाह दी थी.
इसलिए दी जा रही थी सलाह
कोरोना संकट के कारण देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है. पिछले साल से अब तक लाखों लोगों की नौकरियां छिन गई हैं. कई लोगों का रोजगार ठप हो गया.
ऐसे में कई अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों ने केंद्र सरकार को नए करेंसी नोट छापकर अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और लोगों की नौकरियों को बचाने का सुझाव दिया.
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज इसको लेकर संसद में जवाब दिया. उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी के कारण बने मौजूदा आर्थिक संकट से निपटने के लिए सरकार की करेंसी नोट छापने की कोई योजना नहीं है.
29.87 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की थी
महामारी के दौरान अर्थव्यवस्था की स्थिति पर लोकसभा सदस्य माला रॉय ने सवाल किया. इस पर वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि नहीं ऐसी कोई योजना नहीं है.
वित्त मंत्री सीतारमण ने लोकसभा में एक अन्य सवाल के लिखित जवाब में कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान भारत के वास्तविक जीडीपी में 7.3 प्रतिशत की कमी आने का अनुमान है.
उन्होंने कहा कि विकास दर में कमी का अनुमान कोरोना महामारी को रोकने के लिए किए गए उपायों के कारण है. केंद्रीय वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि सरकार ने वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान आर्थिक विकास को पुनर्जीवित करने और रोजगार बढ़ाने के लिए आत्मानिर्भर भारत के तहत 29.87 लाख करोड़ रुपये के विशेष आर्थिक और व्यापक पैकेज की घोषणा की थी.
साथ ही कहा कि कोविड-19 की दूसरी लहर के असर को स्थानीय प्रयासों के जरिये काफी कम किया जा सकता है. वहीं, वैक्सीनेशन अभियान की रफ्तार को बढ़ाने से इस पर काबू पाया जा सकता है.