भारत इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र के निर्यात को बढ़ाने के लिए रणनीति बना रहा है. घरेलू बाजार के इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर के लगभग तीन-चौथाई हिस्से पर कब्जा जमाने के बावजूद भारत के निर्यात में चीनी कंपनियों का योगदान न के बराबर है . भारत के हैंडसेट बाजार में मात्रा के हिसाब से Xiaomi, ओप्पो, वीवो और रियलमी जैसी चीनी कंपनियों की हिस्सेदारी 74% है, लेकिन इनका निर्यात का हिस्सा केवल 4% है. ऐसे में, सरकार चीनी मोबाइल फोन ब्रांडों की निर्यात में हिस्सेदारी नाममात्र होने को लेकर चिंतित है. यानी ये चीनी कंपनियां भारत में हैंडसेट का निर्माण तो कर रही है लेकिन भारत से इनका एक्सपोर्ट नहीं कर रही है. यानी भारत में बने ये चाइनीज फोन बस भारत के स्थानीय बाजार में ही बिक रहे हैं.
देश से इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं का निर्यात चालू वित्त वर्ष की पहले सात महीनों यानी अप्रैल-अक्तूबर अवधि के दौरान 27.7 फीसदी बढ़कर 15.5 अरब डॉलर पर पहुंच गया. पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह 12.1 अरब डॉलर था. विदेश व्यापार महानिदेशक संतोष कुमार सारंगी ने कहा कि सैमसंग और एप्पल जैसी कंपनियों के मोबाइल फोन के बढ़ते निर्यात से इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद क्षेत्र को बढ़ावा मिल रहा है. भारत सरकार चीनी हैंडसेट कंपनियों से भारत के निर्यात में योगदान करने की अपील करती आ रही है. लेकिन भारत इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात बढने के बावजूद चीनी कंपनियों का योगदान नहीं दिख रहा है.
भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में वृद्धि
भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात 11वें स्थान पर था जो अब छठे स्थान पर आ गया है. इस अवधि के दौरान इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में साल-दर-साल $3.4 बिलियन की वृद्धि हुई, जिसमें से $3 बिलियन या 88% मोबाइल फोन निर्यात में वृद्धि के कारण आया. इसमें सबसे बड़ा योगदान iPhone शिपमेंट का था, जो 5 बिलियन डॉलर के साथ भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात का एक तिहाई हिस्सा था. FY23 में, भारत ने 90,000 करोड़ रुपये ($11.12 बिलियन) से अधिक मूल्य के मोबाइल फोन का निर्यात किया, जिसमें से Apple का निर्यात लगभग 5 बिलियन डॉलर और कोरिया के सैमसंग का निर्यात लगभग 4.5 बिलियन डॉलर था. बाकी में भारतीय और चीनी दोनों ब्रांड शामिल थे.
सरकार बना रही है रणनीति
दूरसंचार और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में यह कहा था कि भारत विशेष रूप से स्मार्टफोन और सामान्य रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए निर्यात-आधारित विकास के लिए एक रणनीति तैयार कर रहा है.इसके लिए, इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय (MeitY) वित्त मंत्रालय के साथ मिलकर काम करेगा ताकि सीमाओं के पार माल की आवाजाही को सुचारू बनाया जा सके. लगभग एक साल पहले, सरकार ने चीनी ब्रांडों को निर्यात बढ़ाने और हाई-एंड उपकरणों के लिए कहा था. ऐसे में, भारतीय ब्रांडो के लिए भी बाजार में जगह बन जाती. दरअसल चीनी कंपनियों के चलते भारतीय हैंडसेट ब्रांड जो कम से कम 15,000 रुपये के आसपास हैं वे हाशिये पर आ गए हैं. भारत सरकार यह भी चाहती है कि चीनी ब्रांड स्थानीय आपूर्ति श्रृंखलाओं का उपयोग करें, भारत में निर्मित उपकरणों का निर्यात शुरू करें और भारतीय खजाने में योगदान करें. भारत वैश्विक स्मार्टफोन विनिर्माण क्षेत्र में बड़ा हिस्सा पाने के लिए वियतनाम सहित अन्य देशों के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहा है. वियतनाम का स्मार्टफोन और इलेक्ट्रॉनिक्स का स्थानीय बाजार मूल्य के हिसाब से लगभग 2 बिलियन डॉलर का है, जबकि इसका निर्यात लगभग 40 बिलियन डॉलर का है. वहीं, भारत का स्थानीय बाज़ार लगभग 40 बिलियन डॉलर का है, लेकिन 31 मार्च को समाप्त हुए पिछले वित्तीय वर्ष में निर्यात लगभग 11 बिलियन डॉलर था.
चीनी कंपनियों के निर्यात में कमी क्यों?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एक अधिकारी ने कहा कि वीवो और ओप्पो के छोटे शिपमेंट को छोड़कर, चीनी कंपनियों के निर्यात में थोड़ी बढ़त जरुर हुई है, जबकि Xiaomi भी निर्यात शुरू करने पर विचार कर रहा है. निजी तौर पर, चीनी कंपनियों का कहना है कि भारत से निर्यात के लिए वे सक्षम नहीं हैं क्योंकि उन्हें वर्तमान में भारत सरकार की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत लाभ नहीं मिलता है. हालांकि चीनी अधिकारी के इस बयान से भारतीय सरकारी अधिकारी सहमत नहीं हैं. उनका कहना है कि भारतीय अनुबंध निर्माता उनके लिए उपकरण बना सकते हैं और पीएलआई के तहत लाभ ले सकते हैं. शीर्ष चीनी स्मार्टफोन ब्रांडों में से एक के अधिकारी का कहना है कि भारत से निर्यात करना लाभदायक नहीं है, क्योंकि हमें पीएलआई योजना के तहत लाभ नहीं मिलता है. हमने पहले ही असेंबली लाइन स्थापित करने में इतना बड़ा निवेश किया है. ऐसे में, अनुबंध निर्माताओं के माध्यम से डिवाइस बनाना कोई फायदे का सौदा नहीं है.
डिक्सन से की साझेदारी
ओप्पो के साथ-साथ वनप्लस और रियलमी भी अपने स्मार्टफोन बनाती है, वहीं वीवो का अपना प्लांट है. Xiaomi India फ्लेक्सट्रॉनिक्स के अलावा, फॉक्सकॉन यूनिट (भारत FIH) और चीनी अनुबंध निर्माताओं DBG और BYD के माध्यम से देश में अपने स्मार्टफोन बनाती है. इसने हाल ही में स्मार्टफोन के उत्पादन के लिए भारतीय अनुबंध निर्माता डिक्सन टेक्नोलॉजीज के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर भी किए हैं. भारत एफआईएच और डिक्सन दोनों सरकार की स्मार्टफोन पीएलआई योजना के लाभार्थी हैं. इस साल की शुरुआत में, सरकार ने चीनी मोबाइल फोन निर्माताओं से अपने स्थानीय परिचालन में भारतीय इक्विटी भागीदारों को शामिल करने और प्रमुख भूमिकाओं में अधिक भारतीय अधिकारियों को नियुक्त करने के लिए कहा था
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