‘राष्ट्र की ऊर्जा आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए प्रतिबद्ध’ यह वाक्य कोल इंडिया (Coal India) लिमिटेड की वेबसाईट खुलते ही आपको सबसे पहले दिखेगा. इसी प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए कॉल इंडिया (Coal India) लिमिटेड लगातार खुद को आधुनिक और नए जमाने की जरूरतों के अनुसार बदल रही है. हम जानते हैं कि किसी भी देश के विकास की संकल्पना, ऊर्जा के क्षेत्र में उन्नति के बिना अधूरी है. कॉल इंडिया लिमिटेड, भारत के ऊर्जा क्षेत्र में वो प्रकाशपुंज है, जिससे सम्पूर्ण भारत प्रकाशमय है. इसके बावजूद ऊर्जा के क्षेत्र में भारत को और सुदृढ़ करने के लिए कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) अनेक प्रयास कर रही है. इसी क्रम में सीआईएल ने एक नया सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल शुरू किया है, जो आसानी से जमीन के नीचे दबे कोयले का पता बता देगा.
कोयला मंत्रालय के तहत कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने “स्पेक्ट्रल एन्हांसमेंट” (एसपीई) नाम का एक नया सॉफ्टवेयर शुरू किया है. यह कोयला खोजने की प्रक्रिया के दौरान भूकंपीय सर्वेक्षण का इस्तेमाल करके पृथ्वी की सबसे ऊपरी सतह (क्रस्ट) के नीचे पतले कोयले के निशानों की पहचान करने में मदद करेगा. इसके अलावा यह सॉफ्टवेयर कोयला संसाधनों के मूल्यांकन में सुधार करने में भी सहायता करेगा.
एसपीई सॉफ्टवेयर को शुरू करने से कई तरह के बदलाव होंगे. अभी जो भारत में तकनीक है उसकी कोयले की खोज के लिए मौजूदा भूकंपीय सर्वेक्षण तकनीकों में पृथ्वी के नीचे पतले कोयले के निशानों की पहचान करने की अपनी सीमाएं हैं, लेकिन अब यह संभव होगा, क्योंकि यह नया सॉफ्टवेयर भूकंपीय संकेतों के समाधान को बढ़ाने में सहायता करता है, जिससे सबसे पतले कोयले के निशानों का चित्रण आसानी से होता है.
सीआईएल के अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) शाखा सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट (सीएमपीडीआई) ने गुजरात एनर्जी रिसर्च एंड मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट (जीईआरएमआई) के सहयोग से अपनी तरह का यह पहला सॉफ्टवेयर विकसित किया है. कंपनी ने बताया है कि वह अपनी कॉपीराइट सुरक्षा के लिए भी आवेदन करेगी.
कंपनी ने बताया है कि यह सॉफ्टवेयर पूरी तरह ‘मेड इन इंडिया’ है. यह ‘मेड इन इंडिया’ सॉफ्टवेयर कोयले की खोज के समय और लागत को बचाने में भी सहायता करेगा और इस प्रकार कोयला उत्पादन में आत्मनिर्भर भारत के मिशन को बढ़ावा देगा. सीआईएल के सीएमडी प्रमोद अग्रवाल ने सीआईएल के आरएंडडी बोर्ड की उपस्थिति में इस सॉफ्टवेयर को लॉन्च किया. इस बोर्ड में प्रतिष्ठित संगठनों व संस्थानों के वरिष्ठ निदेशक और विशेषज्ञ सदस्य शामिल हैं.
गौरतलब है कि भारत के कुल कोयला उत्पादन में सीआईएल की हिस्सेदारी 80 फीसदी है. भारत में वाणिज्यिक कोयला खनन का इतिहास लगभग 220 वर्ष पुराना है जिसकी शुरूआत दामोदर नदी के तट पर स्थित रानीगंज कोलफील्ड में ईस्ट इंडिया कंपनी के मैसर्स सुमनेर और हीटली द्वारा 1774 को की गयी थी. इसके बाद धीरे-धीरे 1900 से 1920 तक भारत प्रतिवर्ष 18 मीट्रिक टन करने लगा था. वहीं 1946 में भारत ने इस उत्पादन को बढ़ाकर 30 मीट्रिक टन प्रतिवर्ष कर लिया. आजादी के बाद देश ने इस क्षेत्र में बहुत तेजी से प्रगति की और कोल इंडिया लिमिटेड जैसी कंपनी उभर कर आई. आज कोल इंडिया लिमिटेड भारत में कुल कोयला उत्पादन का लगभग 80% से अधिक उत्पादन करती है.
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