सरकार द्वारा अब एयरलाइनों को पूरी क्षमता से संचालित करने की अनुमति देना व्यावसायिक गतिविधि की वापसी का संकेत देता है, जिससे लोगों का विश्वास बढ़ेगा. इस प्रकार उड्डयन क्षेत्र (civil aviation sector) के लिए अच्छी खबर है, जो पिछले कुछ वर्षों से बहुत ज्यादा अशांत स्थिति से जूझ रहा है. वहीं कोरोना महामारी के चलते समस्या और बढ़ गई है. अकासा जैसी नई एयरलाइन के जुड़ने और एयर इंडिया की दोबारा शुरुआत होना एक अच्छा संकेत है.
हालांकि, हमें पिछले अनुभव को नहीं भूलना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोविड प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन किया जाए. एयरलाइंस को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि बीच की सीट पर बैठे यात्री पीपीई किट नियम का उल्लंघन न करें. पिछले हफ्ते मुंबई हवाईअड्डे पर ऐसे दृश्य नजर आए, जिसने सभी को चिंता में डाल दिया. यहां टर्मिनल 2 पर भीड़भाड़ के कारण कई लोगों को बेहद समस्या और खराब एक्सपीरियंस का सामना करना पड़ा. इस तरह की परिस्थितियों से बचने की जरूरत है. कई महीनों की चिंता और स्वास्थ्य संबंधी डर के बाद अब दोबारा यात्रा करने की चाहत रखने वाले लोगों के साथ, सामान्य स्थिति की राह को बनाए रखना चाहिए.
हमें यह याद रखना चाहिए कि भले ही कोविड के मरीजों की संख्या कम होती जा रही है, लेकिन संक्रमण किसी भी तरह से खत्म नहीं हुआ है और अगर हम अपने बचाव को कम करते हैं तो एक और लहर वापस आ सकती है. सकारात्मकता दर पहले के 5.86% से अक्टूबर की शुरुआत में घटकर 1.68% हो गई है.
ऐसा नहीं हुआ तो राहत से भरे माहौल को दोबारा लहर आने पर तबाही की ओर आने में ज्यादा समय नहीं लगेगा. दूसरी लहर ने सभी लोगों को परेशानी में डाल दिया था. जब तक लोगों को प्रोटोकॉल की जरूरत का एहसास नहीं होगा देश को नुकसान होता रहेगा.
एयरलाइंस क्षेत्र श्रम प्रधान है और इस क्षेत्र से अपनी रोटी कमाने वाले बहुत से लोगों के हित में, विमानन उद्योग को उस संकट से उभरना चाहिए जिससे वह गुजर रहा है. इस क्षेत्र में अब अशांति की स्थिति जल्द ही खत्म होती नजर आ रही है. हालांकि हमारी लापरवाही इस क्षेत्र को दोबारा परेशानी में न डाल दे.