कोरोना के बाद आर्थिक सुस्ती में फंसी चीन की अर्थव्यवस्था के इस सुस्ती से जल्द निकलने की उम्मीद नहीं है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी IMF ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चीन की अर्थव्यवस्था में धीमापन आगे भी जारी रहेगा और 2028 तक चीन की अर्थव्यवस्था आर्थिक धीमेपन में फंसी रह सकती है. यानी 5 साल तक चीन की अर्थव्यवस्था के आर्थिक सुस्ती में फंसे रहने की संभावना है.
IMF के मुताबिक कम उत्पादकता और तेजी से बढ़ती आबादी की वजह से चीन की अर्थव्यवस्था संघर्ष कर रही है. इसी के चलते पिछले साल दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में दशक की सबसे धीमी वृद्धि देखी गई. IMF की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि कमजोर प्रोडक्शन और जनसंख्या बढ़ने से 2028 तक विकास दर घटकर 3.5 प्रतिशत हो जाएगी.
बता दें इससे पहले इस वर्ष के लिए 4.6 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया था. मंदी की वजह देश के रियल एस्टेट बाजार में काफी समय से संकट चल रहा है. कभी चीन में विकास तेजी से हो रहा था, लेकिन अब कर्ज में डूब गया है. इससे चीन की वित्तीय प्रणाली को खतरा हो सकता है. प्रॉपर्टी की दिग्गज कंपनी एवरग्रांडे ने 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का भारी कर्ज लेकर इस समस्या को और बढ़ा दिया है. हांगकांग की एक अदालत ने इस हफ्ते एक आदेश जारी कर कहा है कि एवरग्रांडे की विदेशी संपत्तियों का लिक्विडेशन शुरू हो जाना चाहिए. हालांकि कंपनी का कहना है कि अदालत के इस फैसले से उसके घरेलू लिक्विडेशन पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
आईएमएफ की रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि प्रॉपर्टी सेक्टर में जारी मंदी निजी मांग पर और असर डाल सकती है. आईएमएफ के एशिया और प्रशांत विभाग में चीन के लिए मिशन प्रमुख सोनाली जैन-चंद्रा ने कहा कि प्रॉपर्टी के अलावा मेडिकल क्षेत्र में सुधार की जरूरत है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल चीन की अर्थव्यवस्था में 5.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो लगभग 5 प्रतिशत के मामूली लक्ष्य से अधिक थी.