देश के हवाई अड्डों पर रविवार को यात्रियों की भीड़ में अच्छा खासा इजाफा देखने को मिला. इस दिन कुल 269,713 यात्रियों ने उड़ान भरी. यह कोविड से पहले के दिनों में रहने वाली यात्रियों की संख्या का करीब 75 प्रतिशत है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, एयरलाइंस और हवाई अड्डे के अधिकारियों ने यात्रियों की संख्या में इस बढ़ोतरी का कारण एयरलाइंस को सरकार द्वारा अनिवार्य मूल्य बैंड के बिना टिकट बेचने का मौका मिलना बताया. एक हवाई अड्डे के अधिकारी ने बताया, ‘हवाई अड्डों ने 1 अगस्त को अपना सबसे व्यस्त दिन देखा. इसकी मुख्य वजह सरकार की ओर से एयरलाइंस को बिना किसी अनिवार्य सीमा (कैप) के टिकट बेचने के नियम से छूट मिलना रहा.’
उन्होंने आशंका जताई कि मूल्य स्तर को फिर से लागू किए जाने के बाद अब यह बढ़ोतरी जारी नहीं रह पाएगी. यात्रियों की संख्या में बढ़ोतरी को देखते हुए इस बात पर विचार करने की जरूरत है कि सरकार को एयरलाइंस के लिए मूल्य सीमा और फ्लोर तय करने की व्यवस्था खत्म कर देनी चाहिए. एयरलाइंस उद्योग को बढ़ावा देने के लिए यह जरूरी है.
नागरकि उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) के आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी 2020 में प्रति दिन लगभग 3.50 लाख यात्री भारतीय एयरलाइंस से यात्रा कर रहे थे. हर दिन करीब 2,065 उड़ानें संचालित की जा रही थीं. यह पूर्व-कोविड क्षमता का करीब 65 प्रतिशत था.
एयरलाइंस के लिए सरकार की ओर से लागू मूल्य सीमा को 1 अगस्त (रविवार) की शाम से फिर से लागू कर दिया गया है. इसे दोबारा लागू किए जाने से पूर्व रविवार को पूरे दिन एयरलाइनों को उन कीमतों पर टिकट बेचने की छूट रही, जो DGCA की ओर से अनिवार्य की गई कीमत की तुलना में तकरीबन 30-40 फीसदी कम थीं.
एक निजी एयरलाइन के आला अधिकारी का कहना है, ‘दिल्ली-मुंबई के टिकट पर सरकार की तरफ से न्यूनतम प्राइस बैंड 4,500 रुपये तय किया गया है. बीते रविवार को प्राइस बैंड लागू न रहने के कारण एयरलाइंस ने महज 2,500 रुपये में टिकट बेचे, जिससे उन्हें उड़ानों में यात्रियों की संख्या बढ़ाने में मदद मिली. इससे पता चलता है कि अगर सरकार टिकटों के लिए प्राइस बैंड लागू ना करे, तो एयरलाइंस दाम घटाकर यात्रियों की संख्या को बहुत जल्द पूर्व-कोविड के स्तर तक ले जा सकती हैं.’
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