केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने फॉर्म 26AS में कुछ अहम बदलाव किए हैं. अब से इस फॉर्म में ऑफ-मार्केट लेनदेन, म्यूचुअल फंड की खरीद और विदेशों में पैसा भेजने के साथ-साथ अन्य टैक्सपेयर्स के आयकर रिटर्न का ब्योरा होगा. यह आदेश केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने 26 अक्टूबर घोषित किया है. हालांकि यह नियम पिछले साल ही बना दिया गया था लेकिन इस साल इसमें कुछ संशोधन हुए हैं. संशोधित नियम के अनुसार, फॉर्म 26AS में वित्तीय लेनदेन जैसे कि म्यूचुअल फंड की खरीद, क्रेडिट कार्ड बिलों का भुगतान, विदेशी मुद्रा लेनदेन आदि के बारे में जानकारी दिखाना है.
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस फॉर्म में निर्धारित अतिरिक्त जानकारी में किसी भी व्यक्ति के अधिकृत डीलर के माध्यम से विदेशों में भेजा गया पैसा, कर्मचारी की तरफ से दावा की गई कटौती के साथ वेतन का ब्यौरा, अन्य टैक्सपेयर के ITR के बारे में जानकारी, इनकम टैक्स रिफंड पर ब्याज, वित्तीय लेनदेन के विवरण में प्रकाशित जानकारी शामिल हैं.
नए नियमों में क्या हुआ शामिल
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ऊपर उल्लेखित कुछ जानकारी पिछले सालों में भी फॉर्म 26AS में देखी गई है. उदाहरण के लिए आयकर रिफंड पर प्राप्त ब्याज पिछले साल (वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए) फॉर्म 26AS में प्रारूप में संशोधन से पहले देखा जा सकता है. संशोधित नियम के अनुसार 10 लाख रुपये से ज्यादा के म्यूचुअल फंड निवेश को फॉर्म 26AS में सूचित करना आवश्यक है. फॉर्म 26AS एक व्यक्ति की टैक्स पासबुक है जिसमें एक वित्तीय वर्ष के दौरान किसी व्यक्ति के पैन के खिलाफ काटे गए और जमा किए गए कर का विवरण होता है.
क्या हैं इसके फायदे?
एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के निदेशक ओम पुरोहित ने बताया कि फॉर्म 26AS में सालाना सूचना ब्यौरा में अतिरिक्त जानकारी से अधिकारियों से आमना-सामना किए बिना आकलन सुगम होगा. करदाताओं से अतिरिक्त कर योगदान न के बराबर होगा. यह बदलाव सभी करदाताओं के लिए अर्जित आय के बारे में सटीक जानकारी और स्व-घोषणा की व्यवस्था स्थापित करेगा.