मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) कृष्णमूर्ति सुब्रह्मण्यम ने कहा है कि LIC और भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL) सहित सार्वजनिक क्षेत्र की अन्य कंपनियों के विनिवेश (डिसइनवेस्टमेंट) से 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य पटरी पर है. उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य को पाने के लिए जमीनी कार्य किया जा रहा है.
खपत में हो रहा है इजाफा
कोविड-19 महामारी पर मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) ने कहा कि दूसरी लहर का असर पहली से कम है. फेडरेशन ऑफ तेलंगाना चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा आयोजित एक परिचर्चा सत्र को संबोधित करते हुए सुब्रह्मण्यम ने कहा कि पिछले लगातार 8 महीने से माल एवं सेवा कर (GST) संग्रह एक लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा है, जिससे पता चलता है कि उपभोग बढ़ रहा है. यह वृद्धि की दृष्टि से सकारात्मक है.
विनिवेश पर चल रहा काम
सुब्रह्मण्यम ने कहा, ‘‘इस साल काफी चीजों पर काम चल रहा है. इन लक्ष्यों को हासिल करने पर काफी जोर दिया जा रहा है. यह याद रखें कि 1.75 लाख करोड़ रुपये का एक बड़ा हिस्सा LIC के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) से आएगा. दूसरा BPCL का निजीकरण है. इन दोनों से ही विनिवेश लक्ष्य का एक बड़ा हिस्सा हासिल हो जाएगा.
केंद्र ने चालू वित्त वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ओर वित्तीय संस्थानों में हिस्सेदारी बिक्री से 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है. इनमें दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और एक बीमा कंपनी का विनिवेश शामिल है.
टारगेट हासिल करने का भरोसा
उन्होंने कहा, ‘‘इस साल को निजीकरण के लिए याद रखा जाएगा. अभी हमारे पास नौ महीने बचे हैं. मुझे पूरा भरोसा है कि हम 1.75 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य हासिल कर लेंगे.’’
इससे पहले अपने संबोधन में सुब्रह्मण्यम ने कहा, ‘‘सरकार द्वारा ‘मुफ्त’ लाभ पर खर्च किए जाने वाले प्रत्येक 1 रुपये से अर्थव्यवस्था में योगदान मात्र 98 पैसे का रहता है. वहीं पूंजीगत खर्च पर प्रत्येक 1 रुपया व्यय करने पर देश की अर्थव्यवस्था को 4.50 रुपये का योगदान मिलता है.’’