10 साल की बॉन्ड यील्ड (Bond Yield) जल्द ही 6.50 फीसदी तक बढ़ सकती है और एक साल में यह 7 फीसदी तक पहुंचने की संभावना है. यह दर में परिवर्तन होने का एक संकेत है. जो सरकार, फर्मों और खुदरा ऋण लेने वालों के लिए उधार लेने की लागत को बढ़ा देगा. बिजनेस स्टैंडर्ड् की खबर के अनुसार भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कैलेंडर वर्ष 2020 के लिए यील्ड को 6 प्रतिशत से कम रखने की कोशिश की थी, लेकिन इस साल फरवरी से यह धीरे-धीरे बढ़ने लगी है.
साल 2020 में मुद्रास्फीति का औसत 6.6 फीसदी और 2020-21 में 602 फीसदी था. बांड डीलरों ने कहा, 10 साल के बॉन्ड यील्ड मंगलवार को 6.36 फीसदी पर बंद हुए. विशेषज्ञों का कहना है कि दिसंबर के अंत या जनवरी में यह बढ़कर 6.50 प्रतिशत हो जाने की उम्मीद है. फिलिप कैपिटल के सलाहकार जॉयदीप सेन ने कहा बॉन्ड यील्ड 10 साल के खंड में एक बड़ी भूमिका निभाता है.
धीरे-धीरे बढ़ेंगी ब्याज दरें
सेन ने कहा, हम 6-8 दिसंबर की नीति समीक्षा में ब्याज दर में बढ़ोतरी की उम्मीद कर रहे हैं. आरबीआई ब्याज दरों को धीरे-धीरे ऊपर की ओर ले जाएगा. बांड बाजार इस तरह की दरों में काफी पहले से उतार-चढ़ाव का संकेत दे रहा है. एलआईसी म्यूचुअल फंड के फिक्स्ड इनकम फंड मैनेजर राहुल सिंह ने कहा, ’10 साल की यील्ड में 6.50 फीसदी की बढ़ोतरी देखी जा रही है. सिंह को उम्मीद है कि 10 साल की यील्ड लगभग एक साल में 7 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी. सिंह ने कहा, “आरबीआई अब भी मानता है कि महंगाई अभी भी रोकी जा सकती है.
क्या है बांड यील्ड?
बांड पर मिलने वाले ब्याज को बांड यील्ड कहा जाता है. बांड पर पहले से ही तय दरों पर ब्याज मिलता है. इसमें किसी तरह का कोई बदलाव नहीं होता. बांड की मैच्योरिटी अवधि 1 से 30 साल तक हो सकती है. बांड का मूल्य जैसे ही घटता है उसकी यील्ड बढ़ जाती है. जबकि बांड की कीमत बढ़ने से यील्ड कम हो जाती है. बांड यील्ड बढ़ने से अर्थव्यवस्था में ब्याज दर बढ़ने का खतरा रहता है. जिससे कर्ज महंगा हो जाएगा. होम लोन, पर्सनल लोन, महंगे हो जाते हैं और मांग घटने लगती है जिसका निवेश पर असर पड़ता है.