लाल सागर में व्यापारिक जहाजों पर हुए आतंकवादी हमलों के चलते चावल का निर्यात प्रभावित हुआ है. इससे घरेलू बाजार में बासमती की कीमतों में 5-10% की गिरावट आई है. निर्यातकों का कहना है कि निर्यात बाजार के सुस्त होने से जेद्दा, यमन, बेरूत और डरबन जैसी जगहों पर शिपिंग लागत कई गुना बढ़ गई है. हूती हमलों के बीच प्रमुख शिपिंग लाइनों के स्वेज नहर मार्ग से बचने के फैसले ने रूस और यूक्रेन से सूरजमुखी तेल के आयात को भी प्रभावित किया है. सूत्रों के मुताबिक स्थानीय बाजार में सूरजमुखी तेल की कीमतें 3-4% बढ़ने की संभावना है क्योंकि पिछले एक सप्ताह में अंतरराष्ट्रीय कीमतें 30 डॉलर प्रति टन बढ़कर 940 डॉलर प्रति टन हो गई हैं.
निर्यातकों ने बताया कि लाल सागर संकट से पहले यमन के लिए माल ढुलाई शुल्क 850 डॉलर प्रति कंटेनर था, जो अब बढ़कर 2,400 डॉलर हो गया है. इसी तरह, जेद्दा के लिए माल ढुलाई दर प्रति कंटेनर 300 डॉलर से बढ़कर 1,500 डॉलर हो गई है. वहीं डरबन की दर 700 डॉलर से बढ़कर 1,200 डॉलर प्रति कंटेनर हो गई है. ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया का कहना है कि मालभाड़े में बढ़ोतरी के कारण खरीदार इस बार माल नहीं ले रहे हैं, नतीजतन घरेलू बाजार में अब बासमती चावल की कीमतें गिर गई हैं. भारत सालाना 4-4.5 मिलियन टन बासमती चावल का निर्यात करता है. जिसमें खाड़ी देश इसके सबसे बड़े खरीदार हैं, जो देश के बासमती निर्यात का लगभग 80% हिस्सा खरीदते हैं.
देरी से डिलीवरी पर पॉकेट पर पड़ेगा बोझ
सूरजमुखी तेल आयातकों ने कहा कि आयात मूल्य 30 डॉलर प्रति टन बढ़ गया है, जिसका असर सूरजमुखी तेल की घरेलू कीमतों पर पड़ेगा. अगर सूरजमुखी तेल के आयात को दूसरे मार्गों पर मोड़ा जाता है, तो रूस-यूक्रेन क्षेत्र से आगमन का समय 28 दिनों के बजाय 40 दिन हो जाएगा. अभी भारतीय बाजारों में खाद्य तेलों की अच्छी आपूर्ति है, लेकिन आयातित तेल में देरी और मूल्य वृद्धि से खाद्य तेल कंपनियां इसकी कीमतें बढ़ाएंगी, जिसका असर उपभोक्ताओं के पॉकेट पर पड़ेगा. सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अनुसार नवंबर 2022 से अक्टूबर 2023 के पहले 11 महीनों में भारत का खाद्य तेल आयात एक साल पहले के 12.66 मिलियन टन से बढ़कर 15.47 मिलियन टन (mt) हो गया. इसमें करीब 22.15% की बढ़ोतरी देखने को मिली.
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