आज के दौर में कार होना विलासता का प्रतीक नहीं बल्कि एक जरूरत बन गई है. खासकर कोरोना के दौर में जब लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट में मौजूद भीड़ से बचना और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना चाहते हैं. लेकिन महामारी के दौर में नई कार खरीदना एक महंगा सौदा साबित हो सकता है. पुरानी कार को खरीदना उन लोगों के लिए अच्छा विकल्प साबित हो सकता है, जिनका बजट कम है. पुरानी कार खरीदने के लिए भी लोन आसानी से मिल जाता है, जो जेब के लिए ज्यादा फायदेमंद है.
1. खर्च वहन करने की क्षमता- कार फाइनेंस कराने के बाजार में कई विकल्प मिल रहे हैं. कई बैंक और दूसरे नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल इंस्टिट्यूट पूर्ण स्वामित्व वाले कार लोन के लिए आकर्षक ऑफर्स दे रहे हैं.
2. वाहन: सेकेंड हैंड कार को चुनते वक्त आपको एक बात का खास ख्याल रखने की जरूरत है, वो है बढ़िया डीलरशिप से हाई रिसेल वैल्यू का ध्यान. पुरानी कार जो आप लेना चाह रहे हैं, वो 2 या 3 साल पुरानी होनी चाहिए, जो 30 हजार किमी से ज्यादा न चली हुई हो. इसके साथ ही इंजन और चेसिस नंबर दोनों मिलने चाहिए.
3. ब्याज की दर: लोन लेने से पहले अलग अलग बैंकों से मिल रहे ऑफर्स की आपस में तुलना जरूर कर लें. और इसके बाद वो चुनें जो आपके लिए सबसे अच्छा ऑप्शन है. पूर्ण-स्वामित्व कार लोन एग्रीमेंट में दर्ज पुराने कार लोन की ब्याज दर को भी क्रॉस-चेक करना चाहिए. इसमें ब्याज दर की प्रकृति का भी उल्लेख होना चाहिए, चाहे वह स्थिर हो या अस्थायी.
4. रि-पेमेंट के विकल्प: पुरानी कार के लिए लोन लेने से पहले अग्रीमेंट में रि-पेमेंट क्लॉज को ध्यान दे पढ़ें. खासकर उसमें शामिल फ्लैसिबिलिटी और पेमेंट के तरीकों पर खास गौर करें. अलग-अलग लोन देने वाले संस्थानों में इसकों लेकर अलग नियम होते हैं, दो अग्रीमेंट में साफ साफ लिखे होते हैं.
5. कागजी कार्रवाई: सबसे जरूरी बात है कि डील फाइनल करने से पहले सभी डॉक्यूमेंट्स की जांच कर लें. इन डॉक्यूमेंट्स में इंश्योरेंस पेपर, लोन पेपर्स, रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट आदि शामिल हैं.
6. अवधि की जांच करें: लोन लेने के दौरान बैंक या फाइनेंशियल इंस्टिट्यूट और आपके बीच जिस लोन टेन्योर पर रजामंदी हुई है, उसकी डिटेल्स की जांच कर लें.
7. अतिरिक्त चार्ज: लोन लेने के दौरान अलग से लगने वाले फीस की जांच कर लें. जैसे, कार के सहित आने वाले अन्य सामान की कीमत. आप इस फीस को लेकर बातचीत कर इन्हें कम करा सकते हैं.
8. लागू होने वाली तारीख: ये वो तारीख होती है, जब बैंक लोन जारी करता है. ब्याज इसी तारीख से लगनी शुरू होती है. अगर लोन जारी होने के 60 दिनों तक पैसों का इस्तेमाल नहीं होता है तो लोन अपने आप कैंसल हो जाता है.
9. डीलर/खरीद की जगह: कोई व्यक्ति कार को असंगठित बाजार से भी खरीद सकता है. लेकिन एक बात बेहद ध्यान रखने वाली है कि खरीदने से पहले आप उनकी विश्वसनीयता की जांच कर लें. संगठित बाजार ज्यादा सुरक्षित विकल्प हैं, जहां से आप किसी व्यक्ति से सेकेंड हैंड कार खरीज सकते हैं. लेकिन इन बाजार में कुछ अतिरिक्त फीस चुकानी पड़ सकती है.
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