मक्का का भाव समर्थन मूल्य के ऊपर पहुंचने की वजह से एथेनॉल उत्पादन के लिए मक्का की खरीद प्रभावित हो सकती है. देश की अधिकतर मंडियों में मक्का का औसत भाव 2,200 रुपए से 2,300 रुपए प्रति क्विंटल के ऊपर चल रहा है, जबकि सरकार ने मक्का के लिए 2,090 रुपए प्रति क्विंटल का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया हुआ है. सरकारी अधिकारियों का कहना है कि मक्के की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से सरकारी एजेंसियों की ओर से खरीद घट सकती है. उनका कहना है कि सरकार ने एथेनॉल उत्पादन के लिए डिस्टिलरीज के साथ प्रतिबद्धता जताई हुई है. उन्होंने कहा कि केंद्रीय एजेंसियों ने स्वच्छ ईंधन का उत्पादन करने वाली 40 से अधिक डिस्टिलरीज के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं.
मई में दाम में कमी की उम्मीद
जानकारों का कहना है कि मक्के की कीमतों में जैसे-जैसे बढ़ोतरी होती है किसान सरकारी एजेंसियों के बजाय निजी कारोबारियों को अपने उत्पाद की बिक्री शुरू कर देते हैं. दरअसल, सरकारी एजेंसियां खरीफ सीजन (2023-24) के लिए 2,090 रुपए प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मक्के की खरीद करती हैं. सरकारी अधिकारियों का कहना है कि मौजूदा समय में किसानों का रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है. अप्रैल के आखिर या फिर मई की शुरुआत में बिहार में रबी मक्का की आवक शुरू हो जाएगी और उस समय खरीदारी बढ़ाएंगे. उनका कहना है कि उस दौरान मक्के की कीमतों में कमी की उम्मीद है.
कारोबारी सूत्रों के मुताबिक मार्च के आखिर में बिहार के गुलाबबाग मंडी में मक्के का औसत भाव 2,400 रुपए प्रति क्विंटल के स्तर को पार कर गया था. फरवरी के आखिर में मक्के का भाव 2,300 रुपए प्रति क्विंटल दर्ज किया गया था. गौरतलब है कि भारत एथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देने और बाजार में चीनी की पर्याप्त सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए चीनी के विकल्प के रूप में मक्के के उपयोग को बढ़ावा दे रहा है. बता दें कि बीते दिसंबर में केंद्र सरकार ने चीनी मिलों को निर्देश दिया था कि वे एथेनॉल का उत्पादन करने के लिए गन्ने के रस का उपयोग न करें क्योंकि अक्टूबर में शुरू होने वाले चीनी विपणन वर्ष 2023-24 में देश के चीनी उत्पादन में गिरावट का अनुमान है. मक्के की कीमतों में मजबूती की वजह से कैटल फीड की कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका है.
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