केंद्रीय जल आयोग के अनुसार 150 जलाशयों में 61.80 अरब घन मीटर (BCM) पानी है. यह इन जलाशयों की कुल 178.78 बीसीएम क्षमता का सिर्फ 35 फीसद है. पिछले साल इस समय इन जलाशयों में 74.47 बीसीएम पानी था. बीते 10 वर्षों का औसत भी 63 बीसीएम से अधिक है. आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल की तुलना में इस समय जलाशयों में 83 फीसद और 10 साल के औसत का 98 फीसद पानी है. देश के दक्षिणी राज्यों के जलाशयों की स्थिति बेहद चिंताजनक है. दक्षिण भारत के जलाशयों में क्षमता का सिर्फ 20 फीसद पानी बचा हुआ है.
आयोग की तरफ से जारी बुलेटिन के अनुसार उत्तरी क्षेत्र में आने वाले हिमाचल प्रदेश, पंजाब और राजस्थान के 10 जलाशय आयोग की मॉनिटरिंग के दायरे में हैं. इनकी कुल क्षमता 19.66 बीसीएम है लेकिन इन जलाशयों में इस समय 6.33 बीसीएम पानी है यह इनकी कुल क्षमता का 32% है. पिछले साल इस समय इन जलाशयों में क्षमता का 41% पानी था पिछले 10 साल का औसत 33% है.
पूर्वी क्षेत्र में कैसी है स्थिति?
पूर्वी क्षेत्र की स्थिति पिछले साल से बेहतर है. असम, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, नगालैंड और बिहार के 23 जलाशयों में 9.24 बीसीएम पानी है. यह इनकी 20.43 बीसीएम की कुल क्षमता का 45.24 प्रतिशत है. पश्चिम क्षेत्र के गुजरात और महाराष्ट्र में 49 जलाशयों की मॉनिटरिंग केंद्रीय जल आयोग करता है और उनकी क्षमता 37.13 बीसीएम है. बुलेटिन के अनुसार इनमें इस समय 14.83 बीसीएम पानी है जो इनकी कुल क्षमता का 40 फीसद है. उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के 26 जलाशयों की कुल क्षमता 48.22 बीसीएम है. इनमें अभी 20.81 बीसीएम पानी है जो इनकी कुल क्षमता का 43% है.
दक्षिणी राज्यों की स्थिति चिंताजनक
दक्षिणी क्षेत्र के तहत आने वाले राज्यों आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु के 42 जलाशय आयोग की मॉनिटरिंग में आते हैं और उनकी कुल क्षमता 53.33 बीसीएम है. इनमें अभी सिर्फ 10.57 बीसीएम पानी है जो इनकी कुल क्षमता का सिर्फ 20 फीसद है. पिछले साल इस समय इनमें क्षमता का 34 फीसद पानी था.